दिल्ली पुलिस ने अरुंधति रॉय के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया
दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर की मंजूरी मिलने के बाद, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली है। अरुंधति रॉय, जो विश्व स्तर पर सरकारी उत्पीड़न, सांप्रदायिकता और फासीवाद के खिलाफ सबसे मुखर आवाज़ों में से एक हैं, पर 2010 में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। अब दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट तैयार कर ली है, जिसे इसी हफ्ते अदालत में पेश किया जासकता है। उनके साथ ही प्रोफेसर शौकत हुसैन के खिलाफ भी चार्जशीट तैयार की गई है।
अरुंधति रॉय, जिन्होंने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर प्राइज जीता था, पर 21 अक्टूबर 2010 को कोपरनिकस रोड स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में ‘आजादी’ से संबंधित एक सेमिनार में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। मेघालय की राजधानी शिलांग में जन्मी अरुंधति रॉय पिछड़े वर्गों के लिए आवाज उठाने में सबसे आगे रहती हैं। उन्हें देश में हर प्रकार की कट्टरता और फासीवाद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कई मौकों पर आदिवासियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ सरकारी दमन की खुलकर आलोचना की है। किसी भी विरोध प्रदर्शन में अरुंधति रॉय की भागीदारी उसकी महत्वता को बढ़ा देती है और सरकार को भी नोटिस लेने पर मजबूर कर देती है। यही कारण है कि वे अक्सर सरकारी नाराजगी का शिकार होती हैं।
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वे काफी सक्रिय हो गई हैं और सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों, भीड़ हिंसा और बुलडोजर कार्रवाइयों के खिलाफ हमेशा डटी रही हैं। वे मोदी सरकार के खिलाफ यह बयान दे चुकी हैं कि “भारत में 2014 के बाद से शुद्ध फासीवाद की इमारत खड़ी की जा रही है। इसके खिलाफ जो भी प्रतिरोध करेगा उसके लिए पूरी संभावना है कि उसकी चरित्र हत्या की जाएगी, ट्रोल किया जाएगा, जेल भेजा जाएगा या उसे पीट-पीटकर मार डाला जाएगा लेकिन इसके खिलाफ प्रतिरोध तो जरूर होगा।” उनके उपन्यास, जिसके लिए उन्हें ‘बुकर प्राइज’ से नवाजा गया, में देश में जाति व्यवस्था पर कड़ी आलोचना की गई है और साथ ही मानव व्यवहारों पर छोटी-छोटी चीजों के प्रभावों का विस्तृत अध्ययन भी किया गया है। इस उपन्यास को पूरी दुनिया में सराहा गया है।
गौरतलब है कि दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के बाद, कश्मीर के दक्षिणपंथी सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित की शिकायत पर तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में इस मामले को और जांच के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया गया। शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने आरोप लगाया है कि जिस विषय पर सम्मेलन का आयोजन हुआ था और भाषण दिए गए थे, वे कश्मीर को भारत से अलग करने से संबंधित थे। यह भी आरोप लगाया गया कि भाषण भड़काऊ प्रकृति के थे जिससे सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को खतरा हो सकता था। जानकारी के अनुसार, पुलिस ने छह से अधिक गवाहों के बयानों का हवाला दिया है। पुलिस ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए भाषणों के वीडियो की फॉरेंसिक रिपोर्ट भी अपनी चार्जशीट में शामिल की है।