सोशल मीडिया द्वारा हुए नुक़सान से माफ़ी मांग कर नहीं बचा जा सकता: मद्रास हाई कोर्ट
सोशल मीडिया उपभोक्ता को कोई संदेश लिखने या उसे फॉरवर्ड करने के दौरान बेहद सावधान रहना चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने सोशल मीडिया में महिला पत्रकारों के लिए अपमानजनक टिप्पणी के मामले में भाजपा नेता एसवी शेखर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया।
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी उपभोक्ता सोशल मीडिया पर कोई आपत्तिजनक संदेश लिख रहा है या उसे आगे बढ़ा रहा है तो उसका नतीजा भी वही भुगतेगा। अदालत ने कहा कि फॉरवर्ड किए गए मैसेज पर लाइक देखकर उसे भेजने वाले का डोपामाइन (खुशी का स्तर) बढ़ जाता है, उसी तरह कंटेंट अपमानजनक होने पर उसका नतीजा भुगतने के लिए भी उसे समान रूप से तैयार रहना चाहिए।
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने फैसले में कहा, सोशल मीडिया के जमाने में हम सभी सूचनाओं की बाढ़ से पीड़ित हैं। इस पर जो कुछ भी साझा होता है, उसका तेज और व्यापक असर होता है। कोई व्यक्ति एक बार कोई पोस्ट करने के बाद उससे हुए नुकसान के लिए माफी मांग कर बच नहीं सकता।
मौजूदा मामले में शेखर ने महिला पत्रकारों का अपमान किया तो उनके घर के सामने प्रदर्शन और हिंसा भी हुई। उनके खिलाफ शांतिभंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमानजनक टिप्पणी करने और महिलाओं के अपमान के मामले बने। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति संदेश लिखता या फॉरवर्ड करता है, तो माना जाएगा कि वह उससे सहमत है। ऐसे में संदेश की सामग्री के लिए उसे ही जवाबदेह माना जाएगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ दो लोगों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि पूरी प्रेस, खासतौर पर महिला पत्रकारों के लिए अशोभनीय टिप्पणी की गई है। गौरतलब है कि फेसबुक पर 2018 में की गई एक अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी को लेकर शेखर पर कई केस दर्ज हैं। कार्रवाई से रोक लगाने से इन्कार के साथ हाईकोर्ट ने शेखर के खिलाफ सभी मामलों को एक ही विशेष अदालत में हस्तांरित करने का निर्देश दिया।