मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर पर विवाद, हाईकोर्ट ने सरकार से किए सवाल कर्नाटक हाईकोर्ट में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर के मामले में सुनवाई के दौरान सरकार से कई सवाल पूछे।
मस्जिदों पर किस कानून के तहत लाउडस्पीकर लगाए गए हैं और यह कानून के किस प्रावधान के तहत हुआ है तथा ध्वनि प्रदूषण को रोकने के तहत इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए सरकार क्या कार्यवाही कर रही है कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस और ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक सरकार से कई सवाल किए।
जस्टिस ऋतुराज अवस्थी एवं सचिन शंकर ने कर्नाटक सरकार से सवाल करते हुए कहा कि अनुमति से पहले इन 16 मस्जिदों पर लाउडस्पीकर का उपयोग किस कानून के तहत किया गया था तथा सरकार ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए क्या कर रही है।
याद रहे कि थानिसंद्रा मैन रोड स्थित आईकॉन अपार्टमेंट के 32 लोगों ने ध्वनि प्रदूषण का हवाला देते हुए लाउडस्पीकर और माइक का उपयोग करने वाली 16 मस्जिदों के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी। अदालत में शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश होने वाले वकील श्रीधर प्रभु ने कहा कि माइक और लाउडस्पीकर को हमेशा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
श्रीधर प्रभु ने नियम 5 { 3 } का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम लाउडस्पीकर के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। इस नियम के अंतर्गत राज्य सरकार को अधिकार होता है कि वह रात में होने वाले किसी भी संस्कृति या धार्मिक त्योहार पर कुछ समय के लिए लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति दे दे लेकिन राज्य सरकार को भी यह अधिकार साल में 15 दिन से अधिक के लिए नहीं है।
श्रीधर प्रभु ने अपनी याचिका में कहा कि कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड को भी ऐसे मामलों में इजाज़त देने की अधिकार नहीं है। कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड का सर्कुलर दिखाकर कहा जा रहा था कि बोर्ड की इजाजत के बाद इन मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग किया जा रहा है।
मस्जिद पक्ष ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि उन्होंने लाउडस्पीकर और माइक का उपयोग करने से पहले पुलिस की इजाजत ली थी। मस्जिद पक्ष के अनुसार लाउडस्पीकर ऐसे डिवाइस के साथ लगाए गए हैं कि उसकी आवाज एक निर्धारित जगह से आगे नहीं जा सकती और प्रतिबंधित वक्त अर्थात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच भी लाउडस्पीकर या माइक नहीं चलाया जाता है।