इस्लाम से संबंधित पश्चिम बंगाल के मंत्री फरहाद हकीम के बयान पर विवाद शुरू
कोलकाता: कोलकाता के मेयर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी फरहाद हकीम के हालिया बयान ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए वे बदकिस्मत हैं। उन्होंने अपनी तकरीर में इस्लाम स्वीकार करने की दावत दी। यह बयान 3 जुलाई को आयोजित ‘ऑल इंडिया कुरान प्रतियोगिता’ कार्यक्रम के दौरान दिया गया।
कार्यक्रम के दौरान, कोलकाता के मेयर ने कहा, “वे लोग बदकिस्मत हैं जो इस्लाम में पैदा नहीं हुए! वे बदकिस्मती के साथ पैदा हुए हैं। हमें उन्हें इस्लाम के दायरे में लाना है।” यह बयान एक वीडियो क्लिप के माध्यम से भी सार्वजनिक किया गया है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने यह बातें किस संदर्भ में कहीं हैं।
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने हकीम के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे तृणमूल कांग्रेस की मुसलमानों की खुशामद करने की राजनीति से जोड़ दिया है। मालवीय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “पश्चिम बंगाल में खुशामद की राजनीति करना तृणमूल कांग्रेस का तरीका रहा है। तृणमूल कांग्रेस खुशामद की राजनीति के जरिये जहां जीत हासिल कर रही है वहीं मतदान के बाद हिंसा की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।” उन्होंने खुली आम एक प्रेमी जोड़े की पिटाई को इस्लामी शरीयत का हवाला देते हुए भी इस मुद्दे को उठाया।
इस पूरे मामले में फरहाद हकीम की तरफ से अभी तक कोई सफाई नहीं आई है। उनका बयान व्यापक रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है और राजनीतिक गलियारों में इसके निहितार्थों पर बहस जारी है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है। फरहाद हकीम के बयान ने राज्य में राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, जिससे आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी विवाद बढ़ने की संभावना है।
इस विवाद ने समाज में धर्म और राजनीति के बीच के संवेदनशील संबंधों को उजागर किया है। यह घटना दर्शाती है कि किस तरह से धार्मिक बयानबाजी राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकती है और इससे राजनीतिक दलों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है।