कंगना रनौत की तीन कृषि कानूनों की पुनः बहाली की मांग पर कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया

कंगना रनौत की तीन कृषि कानूनों की पुनः बहाली की मांग पर कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया

मशहूर अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत एक बार फिर अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने तीन कृषि कानूनों की बहाली की पुरजोर वकालत की, जिन्हें 2021 में किसानों के व्यापक विरोध और लंबे आंदोलन के बाद सरकार ने वापस ले लिया था। कंगना का यह बयान एक नई बहस को जन्म दे रहा है, जिसमें कांग्रेस ने तुरंत ही आक्रामक प्रतिक्रिया दी है।

कंगना का बयान
कंगना रनौत ने अपने संबोधन में कहा कि 2021 में वापस लिए गए तीन कृषि कानून देश के किसानों की बेहतरी के लिए आवश्यक थे और अब किसानों को खुद आगे आकर इन कानूनों की पुनः बहाली की मांग करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश की आर्थिक प्रगति में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इन कानूनों से उन्हें दीर्घकालिक लाभ होगा। हालांकि कंगना ने यह स्वीकार किया कि उनके इस बयान पर विवाद हो सकता है, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि उनका इरादा किसानों के हित की बात करना है।

कांग्रेस ने इसे किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया
कंगना के इस बयान के बाद कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना के बयान की निंदा करते हुए कहा कि इन कानूनों का विरोध करते हुए 750 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है और अब किसी भी परिस्थिति में इन कानूनों की वापसी को सफल नहीं होने दिया जाएगा। श्रीनेत ने विशेष रूप से यह कहा कि हरियाणा, जहां किसानों का एक बड़ा आंदोलन हुआ था, से सबसे तीखा विरोध आएगा।

सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा, “हम हर कदम पर किसानों के साथ खड़े हैं। इन काले कानूनों को एक बार खारिज किया जा चुका है और अब इनकी कभी भी वापसी नहीं होगी, चाहे बीजेपी और नरेंद्र मोदी सरकार कितनी भी कोशिश कर ले।”

याद दिला दें कि 2020 में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को पास किया था, जिन्हें किसानों ने अपने हितों के खिलाफ बताते हुए सख्त विरोध किया था। इस विरोध ने देशभर में आंदोलन का रूप ले लिया था, खासकर पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक धरने और प्रदर्शन किए थे। इस विरोध के दौरान सैकड़ों किसानों ने अपनी जान भी गंवाई थी।

कृषि कानूनों के विरोध ने देशभर में सरकार पर दबाव बनाया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। सरकार ने किसानों के प्रति सम्मान दिखाते हुए कहा था कि वे किसानों की भावनाओं का आदर करते हुए ये कानून वापस ले रहे हैं। इसके बाद, किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त किया था।

विवाद की नई चिंगारी
कंगना रनौत का यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार और विपक्ष दोनों ही अगले आम चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। यह बयान किसानों के बीच एक बार फिर कृषि कानूनों के मुद्दे को गर्मा सकता है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस बयान को बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर के रूप में देख रहे हैं।

किसानों के नेता भी कंगना के बयान से नाराजगी जता रहे हैं और इसे किसानों की भावनाओं के खिलाफ बताते हुए निंदा कर रहे हैं। कुछ किसान संगठनों ने इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया है, जिसका उद्देश्य किसानों की परेशानियों को समझने के बजाय सस्ती लोकप्रियता बटोरना है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद केंद्र सरकार की क्या प्रतिक्रिया होती है, और क्या कंगना के इस बयान का बीजेपी के भीतर भी कोई असर पड़ता है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि किसानों और कृषि कानूनों का मुद्दा अभी भी राजनीतिक मंच पर जीवित है, और इस पर भविष्य में भी बहस जारी रहेगी।

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