कांग्रेस लागु करेगी पीके नीति, ट्रेनिंग और जिलाध्यक्षों का टर्म निर्धारित होगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और चुनाव रणनीति कर प्रशांत किशोर के बाद कई दौर की बैठक हुई तो लगने लगा था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस का हाथ थम सकते हैं। कांग्रेस में पीके की बात तो नहीं बनी लेकिन कांग्रेस उनके नीति पर चलते हुए संगठन को मज़बूत करने की मुहिम में जुट गई है।
कांग्रेस संगठन को मजबूत करने का प्रस्ताव उदयपुर में 3 दिन के चिंतन शिविर में पेश किया जाएगा। कांग्रेस ने इसकी जिम्मेदारी मुकुल वासनिक की अध्यक्षता में 9 लोगों को दी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस राज्यों के लिए अलग से पार्टी का संविधान बनाने की घोषणा कर सकती है, जिसमें स्ट्रक्चरल चेंजेज करने की छूट दी जाएगी। इसके अलावा, प्रदेश कार्यकारिणी और जिलाध्यक्षों का कार्यकाल निर्धारित होगा।
कांग्रेस सिविल सोसाइटी के लोगों को साधने के लिए अलग से जिलास्तर पर कमेटी बना सकती है। साथ ही बूथ से लेकर ब्लॉक और राज्य कोऑर्डिनेशन तक के लिए एक अलग से कमेटी बनाई जाएगी।
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग भी कांग्रेस के एजेंडे में है। पार्टी में कम्युनिकेशन स्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मीडिया, सोशल मीडिया, डेटा और विचार विभाग को मिलाकर एक डिपार्टमेंट बनाया जाएगा। सभी राज्यों में इसे मजबूती से लागू करने के लिए रिजनल कन्वेनर बनाए जाएंगे। कार्यकर्ताओं को एक फिक्स्ड टाइम के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की जाएगी।
बता दें कि कांग्रेस नेताओं के साथ अपनी बैठक में पीके ने कांग्रेस को कई सुझाव दिए थे जिनमे कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित है।
1. प्रेसिडेंट और वर्किंग कमेटी समेत हर पोस्ट के लिए कार्यकाल तय हो। 15 हजार जमीनी नेताओं के साथ 1 करोड़ कार्यकर्ता मुस्तैदी से काम करें।
2. देश के अलग अलग हिस्सों में करीब 200 प्रभावी लोगों, एक्टिविस्ट्स और सिविल सोसायटी के लोगों का ग्रुप बनाया जाए।
3. कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट कमजोर है। इसे मजबूत करने की जरूरत है। जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नए सिरे से कांग्रेस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट का पुनर्गठन हो।
4. सोनिया कांग्रेस प्रेसिडेंट बनें। एक वर्किंग प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट गांधी परिवार से बाहर का होना चाहिए। राहुल गांधी को पार्लियामेंट्री बोर्ड का चीफ बनाया जाना चाहिए।