हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर कांग्रेस ने देशव्यापी प्रदर्शन की धमकी दी
नई दिल्ली: कांग्रेस ने अडानी ग्रुप की ऑफशोर कंपनियों में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की प्रमुख की निवेश को लेकर हिंडनबर्ग के ताजा खुलासे के मामले में सोमवार को अपना हमला तेज करते हुए घोषणा की है कि इस मामले की जांच के लिए अगर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन नहीं किया गया तो पार्टी देशव्यापी प्रदर्शन करेगी।
इसके साथ ही कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने अडानी मामले में सेबी की मिलीभगत का हवाला देते हुए सेबी, उसकी प्रमुख और अडानी ग्रुप की ओर से दी गई सभी सफाईयों को खारिज करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को भी चाहिए कि वह ताजा खुलासों के बाद जांच को मार्केट रेगुलेटर सेबी से लेकर सीबीआई या एसआईटी को सौंप दे। दूसरी ओर सरकार ने इस मामले में टस से मस न होने का संकेत दिया है।
माधवी बुच के तुरंत इस्तीफे की मांग
जयराम रमेश ने माधवी बुच की सफाई को खारिज करते हुए उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है। पार्टी ने इस बात की पुनरावृत्ति की कि, इस मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से कराई जानी चाहिए। पार्टी ने कहा कि सेबी में लोगों के विश्वास को बहाल करने के लिए माधवी बुच को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने माधवी बुच और उनके पति धवल बुच द्वारा हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर दी गई सफाई को खारिज करते हुए मांग की कि सुप्रीम कोर्ट को सेबी और अडानी में मिलीभगत की संभावना के मद्देनजर सीबीआई या विशेष टीम द्वारा जांच कराने के निर्देश जारी करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि अडानी मेगा स्कैम सेबी की जांच में सामने आने वाले 24 मामलों से कहीं आगे है। इसमें अडानी ग्रुप में निवेश की गई 20,000 करोड़ रुपये की बेनामी फंड के स्रोत, कोयला और बिजली उपकरणों में हजारों करोड़ रुपये के अधिक बिल और उस आय की मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है। इसके अलावा इसमें बुनियादी ढांचे के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अडानी ग्रुप को एकाधिकार देने, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में अडानी की संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय विदेश नीति में बदलाव के फैसले भी शामिल हैं जो अत्यधिक विवादास्पद साबित हो रहे हैं।
सेबी प्रमुख का जवाब स्वीकारोक्ति है: हिन्डनबर्ग
दूसरी ओर, अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग ने सोमवार को फिर बयान जारी करते हुए कहा है कि सेबी की प्रमुख माधवी बुच ने अपनी सफाई में जो कुछ कहा है उससे उसकी रिपोर्ट की पुष्टि होती है कि उन्होंने अडानी की ऑफशोर कंपनियों में निवेश किया था। याद रहे कि माधवी ने अपनी सफाई में कहा है कि उक्त निवेश उन्होंने सेबी प्रमुख बनने से पहले एक सामान्य नागरिक के रूप में किया था। हिंडनबर्ग ने उनके जवाब को अपनी रिपोर्ट के कई बिंदुओं की पुष्टि बताते हुए कहा कि इससे कई महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं।
उन्होंने माधवी बुच और उनके पति के बयान की कॉपी को साझा करते हुए कहा कि बुच ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की है कि उन्होंने विनोद अडानी के बरमूडा और मॉरीशस में मौजूद फंड में निवेश किया था। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि कर दी है कि इस फंड को उनके पति के बचपन के दोस्त चला रहे थे, जो उस समय अडानी के निदेशक थे। इसके अलावा 31 मार्च 2024 तक की ताजा शेयरधारिता सूची के अनुसार अगोरा एडवाइजरी लिमिटेड (इंडिया) की अब भी 99% हिस्सेदारी उनके पति के पास नहीं बल्कि खुद माधवी बुच के पास है और यह संस्था वर्तमान में सक्रिय है और परामर्श सेवाओं के माध्यम से आय उत्पन्न कर रही है।
कांग्रेस के तीखे सवाल
इससे पहले कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने जोर दिया कि अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की पूर्व रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए थे उनमें सेबी की जांच और क्लीन चिट संदिग्ध हो गई है। अडानी ग्रुप पर जो आरोप हिंडनबर्ग ने लगाए हैं उनमें यह भी है कि उसने ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से खुद अपने शेयर खरीदकर बाजार में कृत्रिम उछाल पैदा किया और फिर बढ़ी हुई कीमत पर बैंकों से कर्ज हासिल किया। इसकी जांच सेबी ने की और अडानी को क्लीन चिट दे दी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया।
अब जयराम रमेश ने सवाल किया है कि “क्या सेबी प्रमुख ने अडानी मामले की जांच से खुद को अलग रखा था?” उन्होंने सवाल किया कि क्या लंबी जांच की रिपोर्ट में हितों के इस टकराव का उल्लेख किया गया है? उन्होंने जांच में देरी पर भी सवाल उठाया और कहा कि इससे मोदी को फायदा हुआ? उन्होंने कहा कि कोई मैच इस स्थिति में कैसे आगे बढ़ सकता है जब अंपायर पहले ही पक्षपाती हो। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह एसआईटी या सीबीआई से जांच कराए।