इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने किया खेला, नॉमिनेशन वापस लेकर भाजपा में शामिल
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट पर भी आखिरी वक्त में खेला हो गया है। कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने आखिरी दिन अपना नामांकन वापस ले लिया है। ऐसे में कांग्रेस के पास इंदौर में कोई उम्मीदवार नहीं बचा है। बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने नॉमिनेशन जाकर वापस लिया है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। बीजेपी ने इंदौर से शंकर लालवानी को उम्मीदवार बनाया है।
सूरत कांड सामने आने के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि, ऐसा भाजपा शासित राज्यों में कई सीटों पर हो सकता है। वो आशंका सोमवार को इंदौर में सही साबित हो गई। हालांकि भाजपा नेताओं ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नाम खुद से वापस लिया है। लेकिन नाम वापस लिए जाते समय का जो वीडियो सामने आया है, वही बता रहा है कि वहां भाजपा नेता मौजूद थे।
तमाम राजनीतिक विश्वेषक बता रहे हैं कि इस चुनाव के बाद भारतीय लोकतंत्र दांव पर रहेगा लेकिन लगता है कि इस चुनाव के दौरान ही भारतीय लोकतंत्र दांव पर लग गया है। चुनाव आयोग ने तो अभी तक सूरत की घटना का संज्ञान लिया और न ही इंदौर की घटना का।
इंदौर लोकसभा सीट पर कांति बम को कांग्रेस ने पहली बार उम्मीदवार बनाया था। अक्षय कांति बम पेशे से कारोबारी हैं। नामांकन फॉर्म भरने के दौरान अक्षय कांति बम ने खुलासा किया था कि वह 14 लाख की घड़ी पहनते हैं। उनके पास पत्नी को मिलाकर करीब 87 करोड़ रुपए की संपत्ति है। नॉमिनेशन दाखिल करने के बाद अक्षय कांति बम लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे। आज नामांकन वापस लेने का आखिरी वक्त था। कलेक्ट्रेट जाकर अक्षय कांति बम ने नॉमिनेशन वापस ले लिया है।
नॉमिनेशन वापस लेने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। वह एमपी सरकार के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनकी गाड़ी में नजर आए हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने गाड़ी में उनकी साथ सेल्फी ली है। साथ ही उसकी तस्वीर शेयर की है।
भाजपा के मुकेश दलाल 22 अप्रैल को गुजरात के सूरत से निर्विरोध निर्वाचित हुए। कांग्रेस के नीलेश कुंभानी की उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने पहली नजर में ही प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं। भाजपा की नजर सिर्फ कमजोर या टूट जाने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों के शिकार पर ही नहीं लगी हुई है। उसकी नजर बाकी दलों के प्रत्याशियों पर भी है। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को बीजेडी के सोरो विधायक परशुराम ढाडा अचानक भाजपा में चले गए।
इससे पहले 27 अप्रैल को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के सदस्यों समेत बड़ी संख्या में सिख बीजेपी में शामिल हुए थे। जेपी नड्डा ने कहा था कि सिख पीएम मोदी का एहसान मानते हैं। इसलिए भाजपा में आए। लेकिन रविवार को जिस तरह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दिया, उस प्रकरण को भी इससे जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि धार्मिक सिख नेताओं ने लवली पर इस्तीफे का दबाव बनाया और भाजपा को फायदा पहुंचाया।