ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों की मौत पर कोलंबिया का शर्मनाक बयान

ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों की मौत पर कोलंबिया का शर्मनाक बयान

पहलगाम आतंकी हमले में निर्दोष भारतीय नागरिकों की शहादत के बाद, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसमें कुछ आतंकवादी मारे गए थे। भारतीय सेना द्वारा आतंकी ठिकाने ध्वस्त होने के बाद पाकिस्तान आतंकवाद मुद्दे पर पूरी तरह बेनक़ाब हो चुका है। पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को तबाह करने के के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घेरने के लिए एक सर्वदलीय डेलिगेशन विदेशी दौरे पर भेजा है।

इस कार्रवाई के मा ध्यम से भारत ने दुनिया को यह बताने की कोशिश की है कि पाकिस्तान, आतंकवादियों को पनाह दे रहा है और भारत की सुरक्षा के लिए यह कदम जरूरी था। हालांकि, कोलंबिया पहुंचने पर शशि थरूर और भारतीय डेलिगेशन को एक बड़ा झटका तब लगा, जब कोलंबियाई सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में मारे गए आतंकवादियों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इसको लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रतिक्रिया जाहिर की है।

शशि थरूर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम कोलंबिया सरकार से निराश हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय आतंकवाद से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने के बजाय, पाकिस्तान में मारे गए आतंकवादियों के प्रति संवेदना जताई।” उन्होंने यह भी कहा कि कोलंबिया को यह समझना चाहिए कि भारत की कार्रवाई आत्मरक्षा में की गई थी, न कि किसी हमले का हिस्सा। थरूर ने कहा, “हमने जो कुछ भी किया, वह अपनी सुरक्षा और आत्मरक्षा के लिए किया। और अगर यहां किसी प्रकार की गलतफहमी है, तो हम उसे दूर करने के लिए आए हैं।”

यह घटनाक्रम इस बात को लेकर भारत और कोलंबिया के बीच बढ़ी हुई असहमति को भी दिखाता है, क्योंकि भारत ने स्पष्ट रूप से बताया कि आतंकवादियों के खिलाफ कोई भी प्रतिक्रिया कार्रवाई केवल और केवल आत्मरक्षा के तहत थी और इसमें किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण गतिविधि शामिल नहीं थी।

भारत ने जो कार्रवाई की, वह न केवल अपनी सुरक्षा के लिए, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ नायकता को सुनिश्चित करने के लिए थी। पाकिस्तान में मारे गए आतंकवादी किसी युद्धकर्मी या सैन्यकर्मी नहीं थे, बल्कि वे वे लोग थे जो आतंकवाद फैलाने के उद्देश्य से भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारत ने यह कदम अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाया, और यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय क़ानून और आत्मरक्षा के अधिकार के तहत आता है।

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