चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम के संबंध में आरटीआई याचिका का जवाब नहीं देने पर सीआईसी नाराज़
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने अपने हालिया आदेश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के संबंध में एक साल तक सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम अनुरोध का जवाब देने में विफल रहने के लिए “गंभीर नाराजगी” व्यक्त करते हुए भारत के चुनाव आयोग (ECI) की आलोचना की है। RTI जांच में चुनावों में EVM और VVPAT मशीनों की विश्वसनीयता के बारे में चिंताओं के बारे में उल्लेखनीय व्यक्तियों के “प्रतिनिधित्व” के जवाब में पोल पैनल द्वारा की गई कार्रवाइयों के बारे में जानकारी मांगी गई।
चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। सीआईसी ने इसे कानून का “घोर उल्लंघन” करार देते हुए चुनाव आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है।
पूर्व आईएएस अधिकारी एम. जी. देवसायम समेत देश के कई प्रतिष्ठित नागरिकों ने ईवीएम, मतदाता-सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) और वोट-गिनती प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर एक याचिका दायर की थी। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत चुनाव आयोग से उनके ज्ञापन आवेदन पर की गई कार्रवाई का विवरण मांगा गया था।
पूर्व आईएएस अधिकारी एम. जी. देवसायम समेत देश के कई प्रतिष्ठित नागरिकों ने ईवीएम, मतदाता-सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) और वोट-गिनती प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर एक याचिका दायर की थी। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत चुनाव आयोग से उनके ज्ञापन आवेदन पर की गई कार्रवाई का विवरण मांगा गया था।
सीआईसी समरिया ने अपने आदेश में लिखा- “केंद्रीय सूचना आयोग, मामले के रिकॉर्ड और सुनवाई के दौरान दस्तावेजों, प्रेजेंटेशन को देखने के बाद, आरटीआई अधिनियम के तहत तय समय-सीमा के भीतर आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं देने पर तत्कालीन पीआईओ के आचरण पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करता है। इसलिए, आयोग निर्देश देता है कि “तब के पीआईओ को वर्तमान पीआईओ के जरिए आरटीआई प्रावधानों के घोर उल्लंघन के लिए एक लिखित स्पष्टीकरण पेश करना होगा।”
उन्होंने आदेश में कहा कि यदि चूक के लिए अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, तो सीपीआईओ उन्हें आदेश की एक प्रति देें। ऐसे लोगों की लिखित दलीलें (जवाब) सीआईसी को भेजी जाएं। सीआईसी ने केंद्रीय चुनाव आयोग से 30 दिनों के भीतर आरटीआई के हर प्वाइंट का जवाब देने का भी निर्देश दिया।