चुनाव और विवादित बयान में चोली दामन का साथ है
चुनाव के समय विवादित बयान और अमर्यादित भाषा प्रयोग अब आम बात है जैसे ही चुनाव नज़दीक आता है नेताओं की ज़बान फिसलना शुरू कर देती है और इससे कोई पार्टी अछूती नहीं है। प्रश्न यह उठता है कि चुनाव जीतने के लिए नेता अभद्र भाषा का प्रयोग क्यों करते हैं? चुनाव के वक़्त हिन्दू-मुस्लिम के बीच नफ़रत की दीवार क्यों खड़ी की जाती है? चुनाव जीतने के लिए ईश्वर-अल्लाह अज़ान-भजन को बीच में क्यों लाया जाता है?
अगर ग़ौर किया जाए तो विवादित अमर्यादित भाषा का प्रयोग वही नेता करते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया, जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र की समस्या के हल के लिए कोई काम नहीं किया। अगर अपने क्षेत्र के लोगों से हमेशा मिलते रहते, अगर अपने चुनाव क्षेत्र का विकास करते, अगर उनकी समस्याओं का समाधान करते तो कभी भी चुनाव जीतने के लिए ईश्वर-अल्लाह, अज़ान-भजन को बीच में नहीं लाना पड़ता।
कर्नाटक में पिछले साल हिजाब विवाद के बाद कुछ शांति हुई तो यह कुछ लोगों को रास नहीं आया, और उन्होंने अशांति फैलाने के लिए दोबारा विवादित बयान देना शुरू कर दिया है। ताज़ा मामला कर्नाटक बीजेपी के नेता व पूर्व डिप्टी सीएम एस.ईश्वरप्पा का है जिन्होंने चुनाव के वक़्त अज़ान पर हास्यास्पद विवादित बयान देकर अशांति फैलाने का काम शुरू कर दिया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उनके भाषण के दौरान पास के एक मस्जिद में अजान हुआ। इस पर ईश्वरप्पा ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं, यह (अज़ान) मुझे सिरदर्द देता है। “सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, आज नहीं तो आज नहीं तो ये अज़ान का आह्वान खत्म हो जाएगा।
ईश्वरप्पा यहीं नहीं रूके, उन्होंने लोगों से सवालिया लहजे में पूछा कि क्या अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर ही अल्लाह नमाज सुनेगा। उन्होंने कहा कि मंदिरों में लड़कियां और महिलाएं प्रार्थना और भजन करती हैं। हम धार्मिक हैं लेकिन हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। अगर आपको लाउडस्पीकर से नमाज अदा करनी है तो इसका मतलब है कि अल्लाह बहरा है।
ईश्वरप्पा को यह बयान चुनाव के वक़्त देने की ज़रुरत क्यों पड़ी? उनके सर में अचानक अज़ान से दर्द क्यों होने लगा? अगर उनको अज़ान से समस्या थी तो उस वक़्त बयान क्यों नहीं दिया जब अज़ान लाउडस्पीकर विवाद चल रहा था? उनके इस बयान से जनता का क्या फ़ायदा है? जनता को महंगाई से, बेरोज़गारी से, अशिक्षा से निजात चाहिए। जनता जब तक चुनाव में इस तरह के मुद्दे पर ध्यान नहीं देगी, तब तक इस तरह के विवादित बयान लोग देते रहेंगे।


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