जाति जनगणना जरूर होनी चाहिए, इसमें कुछ भी गलत नहीं: चंद्रबाबू नायडू

जाति जनगणना जरूर होनी चाहिए, इसमें कुछ भी गलत नहीं: चंद्रबाबू नायडू

बीते कुछ वर्षों के दौरान देश में जाति जनगणना की मांग ने जोर पकड़ा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार पर निशाना साधती रही हैं। इस साल हुए लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में भी इस मुद्दे को शामिल किया था। हरियाणा में जीत से गदगद पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार शाम जाब बीजेपी मुख्‍यालय पहुंचे तो उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला।

पीएम मोदी ने कहा कि जातिगत जनगणना की बात करके कांग्रेस पार्टी देश को बांटने का काम कर रही है। पीएम ने राहुल गांधी पर देश को बर्बाद करने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री अपने इस बयान के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी एनडीए में ही अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।

आंध्र प्रदेश से एनडीए के साथी चंद्रबाबू नायडू जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ नहीं हैं। उन्‍होंने देश में जातिगत जनगणना कराए जाने का खुलकर सपोर्ट किया। मोदी सरकार जिन दलों के समर्थन पर सत्ता में है उसमें से एक महत्वपूर्ण घटक टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने खुलकर जाति जनगणना की वकालत की है।

चंद्रबाबू नायडू ने इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि मैं जातिगत जनगणना का समर्थन करता हूं। यह एक भावना है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आप जाति जनगणना करते हैं, आप आर्थिक विश्लेषण करते हैं और आप कौशल जनगणना करते हैं। आप इन सभी चीजों पर काम करते हैं ताकि आर्थिक असमानताओं को कम किया जा सके। गरीबी सबसे बड़ा मुद्दा है।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि ‘जाति जनगणना जरूर होनी चाहिए, इसे लेकर समाज में एक सेंटीमेंट (भावना) है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।‘ नायडू ने कहा कि जब आप जाति जनगणना करते हैं तो आप आर्थिक विश्लेषण करते हैं और आप स्किल सेंसस यानी कौशल गणना करते हैं।

दरअसल जाति जनगणना को लेकर विपक्षी दलों का खुला आरोप है कि मोदी सरकार और बीजेपी जाति जनगणना नहीं कराना चाहती है। कांग्रेस का तर्क है कि जाति जनगणना से ही इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि देश-समाज के संसाधनों और सरकारी नौकरियों पर किस जाति समूह का कितना हक है और इससे पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

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