बीजेपी कार्यकर्ताओं का मंत्री अब्दुल सत्तार के खिलाफ प्रदर्शन
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और शिवसेना (शिंदे) के नेता अब्दुल सत्तार को लोकसभा चुनाव के बाद से अपनी ही सहयोगी बीजेपी की लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। औरंगाबाद जिले के अंतर्गत आने वाले अब्दुल सत्तार के विधानसभा क्षेत्र सिल्लोड में बीजेपी ने एक बार फिर उनके खिलाफ प्रदर्शन किया है। इसके लिए खासतौर पर सोमवार के दिन ‘सिल्लोड बंद’ का आह्वान किया गया था, लेकिन बाद में इस निर्णय को वापस ले लिया गया।
बताया जा रहा है कि बीजेपी के सभी कार्यकर्ता मंत्री, अब्दुल सत्तार के विरोध पर एकजुट हैं। इन सभी को पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे का समर्थन प्राप्त है, जो जालना से इस बार लोकसभा चुनाव हार गए हैं। सूचना के अनुसार, कुछ समय पहले औरंगाबाद के पास शिओना इलाके में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था, जिन पर पुलिस ने कथित तौर पर कार्रवाई की थी और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसी घटना को आधार बनाकर इस बार अब्दुल सत्तार के खिलाफ मोर्चा खोला गया है।
हाल ही में रावसाहेब दानवे ने सिल्लोड-सुई गांव में एक सभा आयोजित की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि “अब्दुल सत्तार की वजह से सिल्लोड पाकिस्तान बन चुका है। यहां अगर कोई प्लॉट खरीदता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। अगर कोई विरोध करता है, तो उस पर कार्रवाई की जाती है। अब्दुल सत्तार के कहने पर ही पिछले दिनों शिओना में युवाओं पर झूठे मामले दर्ज किए गए थे।” ध्यान देने योग्य है कि रावसाहेब दानवे बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख हैं। उनका यह बयान महायुति और अब्दुल सत्तार, दोनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
अब्दुल सत्तार के खिलाफ विरोध को आगे बढ़ाते हुए सिल्लोड में सोमवार के दिन फिर से बीजेपी कार्यकर्ता इकट्ठा हुए और प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि अब्दुल सत्तार को महायुति से बाहर किया जाए। इस मामले में सुरेश बंकर आगे हैं, जो सिल्लोड से महायुति के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। महीने भर के अंदर अब्दुल सत्तार के खिलाफ तीन बार प्रदर्शन हो चुका है।
सोमवार को जब बंद का आह्वान किया गया, तो बाजार समिति के अधिकारियों ने शिकायत की कि बंद की वजह से व्यापार को नुकसान हो सकता है और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए बंद को वापस ले लिया गया। हालांकि, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एक मोर्चा निकाला जो तहसीलदार कार्यालय तक गया। इसमें अब्दुल सत्तार के खिलाफ नारे लगाए गए और उन्हें मंत्री पद से हटाने और महायुति से बाहर निकालने की मांग की गई।