विपक्ष के विरुद्ध राम मंदिर, यूसीसी, सावरकर और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी भाजपा
2024 लोक सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा और विपक्ष दोनों अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की मीटिंग होने वाली है तो वहीं बीजेपी भी अपने सहयोगियों की तलाश में जुट गई है। 2024 लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी ने अपने मुद्दे भी तय कर लिए हैं।
यह तो तय है कि राम मंदिर मुद्दा बीजेपी किसी सूरत में नहीं छोड़ेगी, क्योंकि बीजेपी की बुनियाद इसी मुद्दे पर तिकी है, और इसी मुद्दे ने बीजेपी को जवान किया है। बाबरी विध्वंस के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 8.75% वोटों का फायदा हुआ और वह पहली बार 20 फीसदी से ज्यादा 20.11 फीसदी वोट हासिल करती दिखी। यह सफलता भी एनडीए का सिरमौर होने के नाते मिली और 13 दिन की सरकार अटल बिहारी वाजपेयी ने चलायी। इससे पहले 1989 में बीजेपी के पास 11.36%और 1984 में 7.74% वोट थे।
लेकिन बीजेपी यह भी जानती है कि आगामी विधान सभा चुनाव और 2024 लोक सभा चुनाव केवल राम मंदिर मुद्दे पर नहीं जीता जा सकता। इसीलिए हिन्दुत्व के अन्य मुद्दों को जोड़ते हुए आक्रामक सियासत की तैयारी कर ली गयी है। भाजपा का मुक़ाबला केवल कांग्रेस से नहीं है इस लिए भाजपा कोर कमेटी ने तय किया है कि वह पूरे विपक्ष से लड़ने के लिए मंदिर, यूसीसी, सावरकर और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी।
बीजेपी को सिर्फ कांग्रेस का मुकाबला नहीं करना है। एनडीए और यूपीए की चुनावी लड़ाई से अलग पहली बार बीजेपी को एकजुट विपक्ष का सामना करना होगा। इसलिए बीजेपी की रणनीति ऐसे मुद्दे उठाने की है जिससे विपक्ष की एकता कमजोर हो या फिर वह मजबूत न हो सके। यूसीसी और सावरकर को भारत रत्न की पेशकश ऐसे ही मुद्दे हैं जिस पर कांग्रेस के गिर्द गोलबंदी कमजोर की जा सकती है।
राम मंदिर निर्माण से पहले बीजेपी यूनीफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी के मुद्दे को केंद्र में ला रही है। जनसंख्या नियंत्रण कानून भी लाया जाना तय है। गोरखपुर प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने के बाद अब यह तय प्राय लगता है कि जब राम मंदिर निर्माण के वक्त माहौल भक्तिमय होगा तब वीडी सावरकर के लिए भारत रत्न की घोषणा कर वैचारिकी के स्तर पर राष्ट्रवाद को भी बीजेपी चुनावी एजेंडे के कोर एरिया में ले आएगी।
कांग्रेस ने पहली बार भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर बीजेपी से कर्नाटक छीना है। भ्रष्टाचार का मुद्दा कांग्रेस के लिए बड़ा ब्रह्मास्त्र ना साबित हो, इसके लिए बीजेपी ने कांग्रेस के बजाए विपक्ष के अन्य दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर लपेटने की रणनीति बना ली है ताकि कांग्रेस की आक्रामकता को कुंद किया जा सके।
बीजेपी को अपने वोट बैंक में विस्तार का आधार नज़र नहीं आ रहा है। क्षेत्रीय दल जो बीजेपी के साथ रहे हैं उनका प्रदर्शन ढीला है। ऐसे में अगर कांग्रेस ने 7 से 10 फीसदी वोट की भी बढ़ोतरी हासिल की तो कांग्रेस एक ऐसे विपक्ष का नेतृत्व देने की स्थिति में आ जाएगी जो बीजेपी को सत्ता से बाहर कर सके। इसलिए बीजेपी की चिंता मजबूत होती कांग्रेस भी है और क्षेत्रीय दल भी।
बीजेपी अपनी दक्षिणपंथी सियासत को और मजबूत करते हुए आगे बढ़ रही है तो इससे उसे कोई नया साथी नहीं मिलने जा रहा है और न ही उसके प्रभाव क्षेत्र का कोई विस्तार इससे होगा। वह विपक्ष की सियासत में फूट डालने वाले मुद्दों को शुमार कर जनता को भ्रमित करने की रणनीति पर चल सकती है। इसलिए 2024 के लिए राम मंदिर के साथ-साथ हिन्दुत्व के मुद्दे और भ्रष्टाचार के बहाने विपक्ष पर हमले उसकी रणनीति का हिस्सा है।