बीजेपी देश को जाति, भाषा, पूजा और पहनावे के आधार पर बांट रही है: सुप्रिया श्रीनेत

बीजेपी देश को जाति, भाषा, पूजा और पहनावे के आधार पर बांट रही है: सुप्रिया श्रीनेत

22 जनवरी को अयोध्या में “राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा” कार्यक्रम पूरी तरह से राजनीतिक होता जा रहा है। भाजपा इस कार्यक्रम को धार्मिक बता रही है तो कांग्रेस उस पर राजनीतिकरण का आरोप लगा रही है। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले “राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा” कार्यक्रम पर चारों शंकराचार्य ने विरोध जताया है। चारों शंकराचार्य का मानना है कि आधे अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन नहीं किया जा सकता है। राममंदिर उद्घाटन के लिए इतनी जल्दी क्यों है ?

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा” कार्यक्रम पर शंकराचार्यों की नाराज़गी और बायकॉट के बाद बीजेपी फ्रंटफुट के बाद बैकफुट पर नज़र आ रही है, जबकि कांग्रेस बैकफुट के बाद फ्रंटफुट पर नज़र आ रही है। कांग्रेस ने शंकराचार्य की नाराज़गी को मुद्दा बनाते हुए इस कार्यक्रम को पूरी तरह राजनीतिक कार्यक्रम बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि 2024 लोकसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए भाजपा आधे अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करा रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ”धर्म व्यक्तिगत आस्था का मामला है। तो फिर इस पर इतनी नफरत भरी राजनीति क्यों की जा रही है? धार्मिक अनुष्ठानों का राजनीतिकरण करना बिल्कुल गलत है। यही वजह है कि आज हिंदू धर्म के चारों शंकराचार्यों ने अयोध्या न जाने का फैसला किया है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘बीजेपी ने इस देश को जाति, भाषा, पूजा और पहनावे के आधार पर बांटने की कोशिश की है, लेकिन अब बीजेपी ने सनातन धर्म को ही संप्रदायों में बांट दिया है।

हमने सिर्फ 22 जनवरी को जाने से इनकार किया है। कांग्रेस व्यक्तिगत विश्वास को सर्वोच्च मानती है। हम मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों में जाते रहे हैं और रहेंगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी और उसके सभी नेताओं का प्रभारी महासचिव के साथ 15 जनवरी को अयोध्या जाने का कार्यक्रम है।

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “राम राज्य में किसी आदिवासी के सिर पर पेशाब करना संभव नहीं था। भगवान राम ने शबरी के बेर खाए थे। सच तो यह है कि जो धार्मिक अनुष्ठान हमारे साधु-संतों को करना चाहिए था वह भाजपा कर रही है, इसलिए आम लोग परेशान और नाराज हैं। इससे पहले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि, राम मंदिर का उद्घाटन, आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

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