त्रिपुरा के सीएम पद से बिप्लब देब ने दिया इस्तीफा, बोले अब जमीन पर काम करने का समय

त्रिपुरा के सीएम पद से बिप्लब देब ने दिया इस्तीफा, बोले अब जमीन पर काम करने का समय

त्रिपुरा के सीएम पद से इस्तीफा दे चुके बिप्लब देब ने कहा कि पार्टी नेतृत्व मुझे जो भी नई भूमिका देगा मैं अपना कर्तव्य निभाऊंगा। मैं तय नहीं कर सकता यह पार्टी है जो मेरे लिए अगला कदम तय करेगी बस मैं उसका पालन करूंगा। हम भाजपा के अनुशासित सैनिक हैं।

त्रिपुरा के सीएम पद से इस्तीफा दे चुके बिप्लब कुमार देब के त्यागपत्र की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर ही ऐलान हो गया था कि मानिक साहा  त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। बिप्लब कुमार देब ने एनडीटीवी से कहा कि वह बीजेपी के अनुशासित सैनिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाते रहेंगे और पार्टी उनके लिए अगला कदम तय करेगी। त्रिपुरा के पूर्व सीएम ने कहा कि पार्टी नेतृत्व मुझे जो भी नई भूमिका देगा मैं अपना कर्तव्य निभाऊंगा। मैं तय नहीं कर सकता यह पार्टी है जो मेरे लिए अगला कदम तय करेगी बस मैं उसका पालन करूंगा हम भाजपा के अनुशासित सैनिक हैं।

बिप्लब कुमार देव के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद हर कोई भौचक्का रह गया। बिप्लव देव के राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद आनन-फानन में बुलाई गई विधायक दल की बैठक में माणिक साहा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए नई पसंद के तौर पर सामने आया। हालांकि इस बैठक में नाटकीय दृश्य देखा गया क्योंकि कई विधायक इस बात से नाराज थे कि उनसे बदलाव के बारे में किसी तरह की सलाह नहीं ली गई। बीजेपी नेतृत्व ने एकदम अचानक से इतना बड़ा निर्णय ले लिया।

विधायकों में से एक राम प्रसाद पॉल ने भी इस कदम का विरोध करने के लिए कुछ कुर्सियां तक तोड़ डाली। अपने फैसले पर बिप्लब देब ने यह भी कहा कि यह उनके और उनके समर्थकों के लिए एक भावनात्मक क्षण है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने पूरे समर्पण के साथ काम किया है इसलिए मेरे लिए भावुक होना स्वाभाविक है हर भारतीय भावुक है। जाहिर तौर पर मेरे साथ काम करने वाले नेताओं और विधायकों के लिए भावुक होना स्वाभाविक है।

हालांकि उन्होंने कहा त्रिपुरा में अब एक स्थिर सरकार है और अगले साल चुनाव होने के साथ उन्हें जमीनी स्तर पर काम करना शुरू करना चाहिए। 2017 में राज्य भाजपा प्रमुख नियुक्त बिप्लब देब ने 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के अभियान का नेतृत्व किया जब भाजपा ने त्रिपुरा में वाम मोर्चा के 25 साल के शासन को समाप्त कर दिया।

चार साल के कार्यकाल के दौरान बिप्लब देब ने विवादास्पद बयानों के लिए भी सुर्खियां बटोरीं।

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