(CEC) और (EC) की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक कुछ संशोधन के साथ राज्यसभा में पेश

(CEC) और (EC) की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक कुछ संशोधन के साथ राज्यसभा में पेश

देश के चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (EC) की नियुक्ति से जुड़ा विधेयक 12 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक चीफ इलेक्शन कमिश्नर और इलेक्शन कमिश्नर को चुनने वाले पैनल में देश के चीफ जस्टिस की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल का प्रस्ताव पारित करने के लिए लाया गया है। इसको लेकर विपक्ष की तरफ से विरोध किया गया। विपक्ष और कुछ पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर द्वारा की गईं आपत्तियों के बाद केंद्र सरकार ने इसमें कुछ संशोधन
किए हैं।

सरकार का दावा है कि इसमें बदलाव किया गया है। इस बिल में प्रावधान है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बजाय सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होंगे। इस बिल में यह भी प्रावधान है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और केंद्र का कोई मंत्री करेंगे। पहले इस चयन समिति में भारत के चीफ जस्टिस भी थे।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस संशोधन बिल को बहस और पारित करने के लिए राज्यसभा में रख दिया है। संशोधन से पहले वाले विधेयक में आयोग के लिए उम्मीदवारों के नामों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक सर्च कमेटी का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन संशोधित विधेयक में कैबिनेट सचिव की जगह कानून मंत्री को उस समिति का प्रमुख बनाने का प्रस्ताव है।

बता दें कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023, मार्च में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता वाले एक पैनल के गठन का आदेश दिया था। कोर्ट ने ये भी कहा था कि यदि लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है, तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का एक प्रतिनिधि इस पैनल में शामिल होगा।

इस बिल को लेकर विपक्ष की आपत्ति है कि चयन पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है क्योंकि इससे चुनाव आयुक्तों को चुनने की शक्ति मजबूती से कार्यपालिका के हाथों में आ जाएगी। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी और अन्य पूर्व चुनाव आयुक्तों ने भी चयन पैनल और चुनाव आयुक्तों के पद को कैबिनेट सचिव के स्तर तक “डाउनग्रेड” करने पर चिंता व्यक्त की थी। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा था कि इस विधेयक में कई विशेषताएं भी हैं।

राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चार शब्द चुनाव आयोग के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं – निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वायत्तता और सुचिता। ये चार शब्द किसी भी व्यक्ति के ज़ेहन में आते हैं। ये जो कानून सरकार लेकर आई है, ये इन चार शब्दों को बुलडोजर के नीचे कुचल देता है।

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