मुलायम सिंह परिवार से 50 साल का रिश्ता, टूटने में सदियाँ लगेंगी: आज़म ख़ान
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज़म ख़ान और अखिलेश यादव की मुलाक़ात ने एक बार फिर नई राजनीतिक गर्मी पैदा कर दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म ख़ान के बीच शुक्रवार को लखनऊ में अखिलेश यादव के आवास पर करीब पैंतालीस मिनट तक बंद कमरे में बातचीत हुई। जेल से रिहाई के बाद यह आज़म ख़ान की अखिलेश से दूसरी मुलाक़ात थी।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, पार्टी की आगामी रणनीति और अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए योजना पर विस्तार से चर्चा हुई। मुलाक़ात के दौरान आज़म ख़ान के बेटे भी मौजूद थे।
मुलाक़ात के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब में मोहम्मद आज़म ख़ान ने कहा कि, उन्होंने अखिलेश यादव से दिल की बातें कीं, और जब दो हमख़याल नेता मिलते हैं तो अर्थपूर्ण बातचीत अपने आप हो जाती है। उन्होंने कहा कि, विरोधी दल अक्सर अपने राजनीतिक हितों के लिए बयान देते हैं, हर पार्टी की अपनी सोच और विचारधारा होती है।
आज़म ख़ान ने कहा कि, उनका इस घर (मुलायम सिंह परिवार) से पचास साल पुराना रिश्ता है, ऐसे रिश्ते कमज़ोर होने में सालों लगते हैं और टूटने में सदियाँ। उन्होंने अखिलेश के साथ हुई बातचीत की विस्तृत जानकारी देने से इनकार किया। सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इतना अत्याचार सहने के बावजूद वे ज़िंदा हैं, और अगर वे “भूमि माफ़िया” होते तो लखनऊ में उनकी भी कोठी होती।
उन्होंने योगी सरकार के कदमों पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि, अगर “तनख़्वाहिया” कहने से उनकी सदस्यता खत्म हो सकती है और उन्हें तीन साल की सज़ा हो सकती है, अगर मुर्गी चोरी के आरोप में 21 साल की कैद और 30 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, तो हालात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
आज़म ख़ान ने आगे कहा कि 2027 में बदलाव की लहर आएगी और वे उसका हिस्सा होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में इसलिए नहीं गए क्योंकि वहाँ की स्थिति अब भी “जंगलराज” जैसी है। उन्होंने कहा कि, हथियारबंद लोग वहाँ जा रहे हैं जबकि उनके पास सुरक्षा नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी राज्य को “जंगल” कहना लोकतंत्र का अपमान है, ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
अखिलेश यादव ने आज़म ख़ान से मुलाक़ात के बाद ‘एक्स’ पर लिखा:
“न जाने कितनी यादें साथ लाए, जब वो आज हमारे घर आए — यही मेल-मिलाप हमारी साझा विरासत है।”
गौरतलब है कि अखिलेश यादव से मिलने से पहले गुरुवार को आज़म ख़ान से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी ने भी मुलाक़ात की थी। यह बैठक लखनऊ के लालबाग के एक निजी होटल में हुई, जहाँ आज़म ख़ान ठहरे हुए थे। इस दौरान मोहम्मदाबाद के विधायक मुन्नू अंसारी और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने भी अलग-अलग आज़म ख़ान से मुलाक़ात की।
सूत्रों के मुताबिक, ये मुलाक़ातें सिर्फ़ औपचारिक नहीं हैं, बल्कि मुस्लिम राजनीति में नए गठबंधन और सहयोग की संभावनाओं को जन्म दे रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर आज़म ख़ान, अंसारी परिवार और समाजवादी पार्टी एक साझा रणनीति बनाते हैं, तो उत्तर प्रदेश की अल्पसंख्यक राजनीति में बड़ा परिवर्तन संभव है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आज़म ख़ान और अखिलेश यादव की यह मुलाक़ात एक नए युग-ए-मिलाप (समझौते के दौर) की निशानी है, जिसके प्रभाव 2027 के चुनावों में देखने को मिल सकते हैं। यह मुलाक़ात पार्टी के अंदरूनी मतभेद कम करने, अल्पसंख्यक वोट बैंक को एकजुट करने और यूपी की राजनीति में नई सियासी राह तैयार करने का संकेत देती है।


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