एस्ट्राजेनेका कंपनी का क़बूलनामा, कोविशील्ड वैक्सीन से हो सकता है हार्ट अटैक- ब्रेन स्ट्रोक
कोरोना महामारी से बचाने में कोविड वैक्सीन ने काफी मदद की। मगर इसके बाद हार्ट अटैक के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई। कई बड़े मंच पर एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाया कि अचानक आ रहे हार्ट अटैक के पीछे कोविड वैक्सीन जिम्मेदार है। मगर इसे सपोर्ट करने वाला कोई सबूत नहीं मिल पाया। अब फिर से यह चर्चा आग की तरह फैल रही है, क्योंकि कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कोर्ट में इससे जुड़ी बात कबूली है।
कोरोना महामारी के दौरान लोगों को बीमारी से बचाने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके लगाए गए थे। भारत में इसका वैक्सीन का उत्पादन अदार पूनावाला के सीरम इंस्टिट्यूट ने किया था। जिसे बाद में भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों लोगों को लगाया गया। महामारी के करीब 4 साल बाद अब एस्ट्राजेनेका ने माना कि उसकी कोविड वैक्सीन लोगों में दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में खुलासा किया कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) की समस्या कोविशील्ड वैक्सीन का दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकती है। कंपनी ने यह बात एक शिकायकर्ता जेमी स्कॉट के आरोप के बाद कबूली। शिकायत में कहा गया था कि इस कंपनी की कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद उसके खून में थक्के जमने से दिमाग में स्थायी चोट लग गई थी।
दूसरे शब्दों में कहें तो हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और प्लेटलेट्स गिरने का कारण बन सकती है। कंपनी ने इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि ऐसा बेहद दुर्लभ मामलों में ही होगा और आम लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया था। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ने बयान दिया कि भारत में TTS का कोई मामला सामने नहीं आया है। घबराने की बात नहीं है, क्योंकि कोर्ट में ऐसे रेयर साइड इफेक्ट के मामले पहली बार नहीं आए हैं।
ब्रिटेन में जेमी स्कॉट नाम के एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका कंपनी के खिलाफ कोर्ट में केस किया है। उनका कहना है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की वैक्सीन लगवाने के बाद वे ब्रेन डैमेज का शिकार हुए थे। उनकी तरह ही कई अन्य परिवारों ने भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर कोर्ट में कंप्लेंट फाइल कर रखी है। उनका कहना है कि यह वैक्सीन लगवाने के लिए उन्हें कई तरह के शारीरिक विकारों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बारे में पहले नहीं बताया गया था। ये परिवार अब वैक्सीन को लेकर हुई परेशानियों को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
यूके हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कंपनी ने स्वीकार किया कि बेहद दुर्लभ मामलों में उनकी वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) की वजह बन सकता है। इसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। इस कबूलनामे के बावजूद कंपनी लोगों की मुआवजे की मांग का विरोध कर रही है। कंपनी का कहना है कि इतने बड़े लेवल पर टीकाकरण के बाद कुछेक लोगों में यह समस्या हो सकती है।


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