आपात स्थितियों से निपटने के लिए सेना को हमेशा तैयार रहना चाहिए: राजनाथ सिंह
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना से कहा है कि वह मौजूदा और पिछले वैश्विक घटनाक्रमों से सबक ले और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीति बनाए और विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहे। सिक्किम के गंगटोक में उच्च सैन्य कमांडरों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि उत्तरी सीमा पर हालात के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हर स्तर पर बातचीत जारी रहेगी।
उन्होंने सेना के आधुनिकीकरण पर भी जोर दिया। रक्षामंत्री ने खराब मौसम के मद्देनजर आर्मी के सुकना बेस से कमांडरों को संबोधित किया और कहा कि इससे वैश्विक स्तर पर सभी प्रभावित होते हैं। भविष्य में युद्ध के विभिन्न रूप होंगे और यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे सैन्य संघर्षों से भी स्पष्ट होता है। इसके लिए सशस्त्र बलों को रणनीति और योजना बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें वैश्विक घटनाओं, वर्तमान और अतीत से सीखते रहना चाहिए ताकि नुकसान को रोका जा सके। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम सतर्क रहें, नियमित रूप से आधुनिक बनें और विभिन्न आपात स्थितियों से निपटने के लिए लगातार तैयार रहें।”
देश की उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सिंह ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना पर पूरा विश्वास जताया, लेकिन यह भी कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए हर स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की, जिसने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर सड़कों के संपर्क में जबरदस्त सुधार किया है और यह सुधार जारी रहना चाहिए।
देश की पश्चिमी सीमाओं की स्थिति का उल्लेख करते हुए रक्षामंत्री ने सीमा पार आतंकवाद से निपटने में भारतीय सेना की भूमिका की सराहना की और कहा कि दुश्मन की तरफ से प्रॉक्सी युद्ध अभी भी जारी है। उन्होंने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या से निपटने में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), पुलिस बल और सेना के बीच बेहतर तालमेल की सराहना करता हूं। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में समन्वित कार्रवाई से क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में मदद मिल रही है।”