सेबी चेयरपर्सन पर गंभीर आरोपों के बीच कांग्रेस का दावा, अभी और खुलासे होने वाले हैं
नई दिल्ली: सेबी चेयरपर्सन माधबी पूरी बुच के मामले में कांग्रेस लगातार मोदी सरकार के साथ-साथ संबंधित संस्थाओं से भी सवाल कर रही है। इस मामले में पीएम मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी और आईसीआईसीआई दोनों से कई तीखे सवाल किए हैं। अब कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया है कि इस मामले में और भी खुलासे होने वाले हैं।
यह दावा जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर किया है। उन्होंने इस पोस्ट में लिखा है, “अडानी समूह द्वारा किए गए सेबी नियमों के उल्लंघन की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित नियामक संस्था की जांच में सेबी चेयरपर्सन के हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। ऐसा लगता है कि इन सवालों को भारत सरकार ने यूं ही नजरअंदाज कर दिया है। अब यह हैरान कर देने वाली अनियमितता (माधबी बुच को तीन संस्थाओं से वेतन के भुगतान से संबंधित) का ताजा खुलासा हुआ है। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री जो अपनी चुप्पी के जरिए सेबी चेयरपर्सन को बचाने में लगे हैं, को स्पष्ट रूप से सामने आकर कुछ सवालों के जवाब देने चाहिए।”
इसके बाद जय राम रमेश ने कुछ सवाल प्रस्तुत किए हैं जो इस प्रकार हैं:
नियामक संस्थाओं के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए उपयुक्त मापदंड क्या हैं?
क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी ने सेबी चेयरपर्सन को लेकर सामने आई इन हैरान कर देने वाली बातों की जांच की है या एसीसी पूरी तरह से पीएमओ को आउटसोर्स कर दी गई है?
क्या प्रधानमंत्री को पता था कि सेबी चेयरपर्सन लाभ के पद पर थीं और सेबी में अपने कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई से वेतन/आय प्राप्त कर रही थीं?
क्या प्रधानमंत्री को पता था कि सेबी की पूर्णकालिक सदस्य के रूप में वर्तमान सेबी चेयरपर्सन ने आईसीआईसीआई और उसके संबंधित संस्थानों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा किया था और साथ ही आईसीआईसीआई से आय भी प्राप्त की थी?
वर्तमान सेबी चेयरपर्सन को आईसीआईसीआई से ईएसओपी लाभ क्यों मिलते रहे, जबकि वे बहुत पहले ही समाप्त हो चुके थे?
सेबी चेयरपर्सन को कौन बचा रहा है और क्यों?
उपरोक्त सवाल पूछने के बाद जय राम रमेश लिखते हैं कि “नॉन-बायोलॉजिकल (गैर जैविक) प्रधानमंत्री यूं ही सवालों का जवाब दिए बिना नहीं बच सकते। वह आखिर कब तक इन सवालों पर चुप्पी साधे रहेंगे? निवेश बाजार में करोड़ों भारतीय अपनी पूंजी लगाते हैं, वे इसके नियामक से पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी की मांग करते हैं।” अंत में वे यह भी लिखते हैं, “अभी और भी खुलासे होने वाले हैं…