बलात्कार के आरोप लगाना दहेज प्रताड़ना के आरोप की तरह हो चला है आम

बलात्कार के आरोप लगाना दहेज प्रताड़ना के आरोप की तरह हो चला है आम

दिल्ली कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि आजकल दुष्कर्म के झूठे आरोपों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है।

बलात्कार के आरोप दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोपों की तरह बढ़ते जा रहे हैं। बलात्कार के झूठे आरोप लगाना आज कल आम चलन हो गया है।

दिल्ली कोर्ट ने एक परिवारिक विवाद की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि दहेज प्रताड़ना के आरोपों की तरह ही अब बलात्कार के झूठे आरोप लगाना है एक आम चलन बन गया है। पीड़िता को अपने साथ हुए बलात्कार की तारीख, स्थान और समय तक का पता नहीं होता लेकिन इस बात पर अडी रहती है कि देवर ने बलात्कार किया है।

दिल्ली अदालत ने एक परिवारिक विवाद में सख्त टिप्पणी करते हुए प्रथम दृष्टया इस मामले को आपसी मनमुटाव का माना है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार की अदालत ने आरोपी देवर को जमानत दे दी है। अदालत ने पीड़िता से पूछा कि पिछले 6 साल से जब वह अपने पति और ससुराल से अलग रह रही है तो उसके साथ देवर ने कब और कहाँ बलात्कार किया ? जिसका पीड़ित महिला के पास कोई जवाब नहीं था।

अदालत के सामने आरोपी देवर के वकील ने कहा कि शिकायत करने वाली महिला एवं आरोपी युवक के भाई की शादी वर्ष 2006 में हुई थी।
शादी के थोड़े समय बाद ही दोनों के बीच विवाद रहने लगा। महिला की ओर से वर्ष 2007 में पहली शिकायत दर्ज की गई। उसके बाद कभी दहेज प्रताड़ना तो कभी अन्य आरोप लगाने का सिलसिला शुरू हो गया।

पति पत्नी के बीच पिछले 15 सालों से विवाद चल रहा था। इस बीच महिला ने घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, गुजारा भत्ता समेत पति एवं उसके घर वालों के खिलाफ कई मुकदमे और शिकायतें दर्ज कराई। 11 जनवरी 2022 को महिला ने इसी क्रम में अपने देवर के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा भी दर्ज कराया जिसके बाद 17 जनवरी को पुलिस ने उक्त महिला के देवर को बंदी बना लिया था। तभी से युवक न्यायिक हिरासत में है। आज अदालत में जब पीड़िता से दुष्कर्म की तारीख, समय और स्थान का पूछा गया तो वह कोई जवाब नहीं दे सकी लेकिन देवर पर बलात्कार के अपने आरोपों पर अडिग रही।

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