अखिलेश,प्रियंका-जयंत की मुलाक़ात से बेचैन, कांग्रेस देगी सपा को झटका

अखिलेश,  प्रियंका-जयंत की मुलाक़ात से बेचैन, कांग्रेस देगी सपा को झटका  उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे सभी राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ती जा रही है।

अखिलेश यादव हो या कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी या भाजपा नेताओं के चुनावी दौरे, हर राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने में लगा हुआ है। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की राजनीतिक सक्रियता ने सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी की परेशानी भी बढ़ा दी है।

प्रियंका गांधी की ओर से की जा रही लोक लुभावनी घोषणाएं, किसान परिवारों के साथ उनकी मुलाकात एवं उनके राजनीतिक दौरे को लेकर अन्य राजनीतिक पार्टियों में बेचैनी साफ देखी जा रही है।

प्रियंका गांधी की सक्रियता के बीच उनकी एक मुलाकात ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह मुलाकात थी प्रियंका गांधी एवं राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी की। जो लखनऊ एयरपोर्ट पर हुई।

प्रियंका गांधी और जयंत चौधरी के बीच काफी देर तक बातचीत चली और इस वार्ता के बाद ही अटकलों के बाजार गर्म हो गए हैं। अखिलेश यादव का परेशान होना इसलिए भी जरूरी है कि सपा और आरएलडी के बीच गठबंधन को लेकर सहमति तो बनी है लेकिन सीट बंटवारे को लेकर अभी चर्चा चल ही रही थी कि दोनों दलों के बीच मतभेद की खबरें भी सामने आने लगी।

प्रियंका और जयंत की मुलाकात के बाद इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस आरएलडी को अपने पाले में लाने के प्रयास कर रही है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात उस समय हुई जब प्रियंका गोरखपुर में जनसभा करके लखनऊ के रास्ते दिल्ली पलट रही थी और जयंत चौधरी अपनी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी करके लखनऊ से वापस जा रहे थे। लखनऊ एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई और काफी देर तक चर्चा भी हुई।

जयंत चौधरी और अखिलेश यादव, सपा और आरएलडी के गठबंधन को लेकर सहमति जता चुके हैं लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच फंसा हुआ है। अभी तक बंटवारे को लेकर ना तो कोई फार्मूला सामने आया है और ना ही दोनों दलों के बीच सहमति हुई है। अखिलेश यादव आरएलडी को सीट देने से जुड़े सवालों का भी जवाब देने के बजाय उन्हें टालते नजर आ रहे हैं वहीं जयंत चौधरी ने भी गठबंधन को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है और इसे 2022 तक के लिए टाल दिया है।

कांग्रेस आरएलडी को अपने पाले में लेने के लिए कितनी उत्सुक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रियंका गांधी से पहले कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने भी जयंत चौधरी से मुलाकात की थी ,कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और जयंत चौधरी के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है।

कांग्रेस ने यूपी विधानसभा में जाट समुदाय को साधने के लिए दीपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदारी सौंप रखी है। कांग्रेस को यूपी में एक मजबूत सहयोगी की जरूरत है। यूपी कांग्रेस के प्रभारी एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी छोटे दलों को कांग्रेस से गठबंधन के लिए ऑफर कर चुके हैं। वहीँ किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुद को मजबूत महसूस कर रहे आरएलडी पर भी कांग्रेस की नजर है।

किसान आंदोलन के बाद से ही जयंत चौधरी और प्रियंका के साथ साथ अखिलेश यादव लगातार किसान परिवारों से मिल रहे हैं और किसान महापंचायत में भी तीनों दलों के नेता नजर आ रहे हैं। आरएलडी यूपी चुनाव में 65 से 70 विधानसभा सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है जिनमें से अधिकांश पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है तो कुछ सीटें पूर्वांचल के इलाके में भी हैं।

लोकसभा 2019 में सपा-बसपा ने आरएलडी को सिर्फ तीन सीटें दी थी ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा 2022 के चुनाव में सपा आरएलडी को 15 से 22 सीटें देने के मूड में है जिस पर रालोद राजी नहीं है।

आरएलडी ने दूसरे दलों के नेताओं को बड़ी संख्या में अपने दल में जगह दी है और वह सभी टिकट के दावेदार हैं। रालोद इन लोगों को उस सीट से चुनावी मैदान में उतारने के मूड में हैं जहाँ जाट एवं मुस्लिम समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका में है।

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