टीडीपी के बाद शिरोमणि अकाली दल भी बन सकती है बीजेपी की सहयोगी
आजकल राजनीतिक गलियारों में शिअद-भाजपा गठबंधन की चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने से पूर्व ही दोनों पार्टियां एक साथ फिर से पंजाब की राजनीतिक पिच पर धुआंधार बल्लेबाजी करने के लिए उतरेंगी।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच गठबंधन होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। दोनों के बीच गठबंधन होता है तो निश्चित तौर पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए (NDA) को पंजाब में एक नया सहयोगी दल मिल जाएगा।
शिअद और भाजपा में गठबंधन होने से पंजाब की राजनीति में बदलाव होना तय है, क्योंकि जनवरी माह तक चारकोणीय मुकाबला होने के संभावना थी, लेकिन फरवरी के शुरुआत में इस तस्वीर में बदलाव शुरू हो गया। बिहार में नीतीश कुमार के जदयू से गठबंधन होने के बाद पंजाब भाजपा शिअद से गठबंधन की संभावनाएं तलाशने लगी। गठबंधन की बात सिरे चढ़ रही थी, पर किसानों के दिल्ली कूच के एलान कर देने से इसकी घोषणा टाल दी गई।
इस बीच देखा जाए तो शिअद ने पिछला 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ एनडीए में रहकर ही लड़ा था, लेकिन 2020-21 के किसान आंदोलन के वक्त दोनों दलों के बीच कुछ तल्खी बढ़ गई थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया था।
उधर, पूर्व कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल अस्पताल में भर्ती हैं। उनसे आज रविवार (10 मार्च) को पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने मुलाकात की और उनका हाल चाल पूछा। मनप्रीत सिंह बादल बठिंडा के जिंदल हार्ट हॉस्पिटल में भर्ती हैं और उनको जल्द छुट्टी मिलने की संभावना जताई है।
शिअद-भाजपा गठबंधन होने पर इस बार शिअद को भाजपा के लिए अधिक सीटें छोड़नी पड़ेंगी। पहले भाजपा लोकसभा की तीन और विधानसभा में 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। पंजाब में 13 लोकसभा और 117 विधानसभा सीटीं हैं। भाजपा इस बार लोकसभा की पांच गठबंधन या छह सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।