तीन राज्यों में भाजपा की जीत के बाद दिग्विजय सिंह ने ईवीएम पर उठाया सवाल
भोपाल: कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने दावा किया कि चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 2003 से ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य की बहुत सी सीटों पर पार्टी को मिले डाक मतपत्रों की संख्या सार्वजनिक करते हुए कहा कि वे 2003 से ईवीएम का विरोध करते आ रहे हैं और उनका मानना है कि चिप वाली कोई भी मशीन हैक की जा सकती है। दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ये आंकड़े पोस्ट किए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘डाक मतपत्रों के ज़रिए कांग्रेस को वोट देनेवाले और हम पर भरोसा जताने वाले सभी मतदाताओं का धन्यवाद! तस्वीरों के आंकड़ों में एक प्रमाण है जो यह बताता है कि पोस्टल बैलेट के ज़रिए हमें यानी कांग्रेस को 199 सीटों पर बढ़त है। जबकि इनमें से अधिकांश सीटों पर ईवीएम काउंटिंग में हमें मतदाताओं का पूर्ण विश्वास न मिल सका। यह भी कहा जा सकता है कि जब तंत्र जीतता है तो जनता (यानी लोक) हार जाती है। हमें गर्व है कि हमारे ज़मीनी कार्यकर्ताओं ने जी जान से कांग्रेस के लिए काम किया और लोकतंत्र के प्रति अपने विश्वास को पुख़्ता किया।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा है कि वे 2003 से ईवीएम से वोटिंग का विरोध कर रहे हैं। कोई भी ऐसी मशीन जिसमें चिप लगी हो, वो हैक की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि क्या हम अपने लोकतंत्र पर ‘प्रोफेशनल हैकर्स’ का नियंत्रण चाहते हैं। इस सवाल पर सभी राजनीतिक दलों को चिंतन करना होगा। मध्यप्रदेश में कांग्रेस 2003 से सत्ता से बाहर है। वर्ष 2018 में 15 महीने के लिए कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी, लेकिन मार्च 2020 के बाद से फिर राज्य में भाजपा का शासन हो गया।
संजय राउत ने भी उठाया सवाल
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को मिली जीत लोगों के समर्थन को नहीं दर्शाती, बल्कि यह ईवीएम का जनादेश है। भाजपा ने रविवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने बीआरएस को तेलंगाना की सत्ता से बेदखल किया।
राउत ने कहा कि चुनाव परिणाम अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक हैं, लेकिन हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं। जब जनादेश आपकी पार्टी के खिलाफ जाता है, तो उसे स्वीकार करना पड़ता है. बहरहाल, मध्य प्रदेश के नतीजे हमारे लिए चौंकाने वाले ही नहीं, बल्कि स्तब्ध करने वाले भी हैं। चार में से तीन राज्यों के चुनाव नतीजों को ईवीएम का जनादेश माना जाना चाहिए और इसे उसी रूप में स्वीकार करना होगा।
संजय राउत ने यह भी कहा कि, जब ईवीएम पर सभी को संदेह है तो इस संदेह को दूर किया जाना चाहिए। अगर सभी चुनाव नहीं तो कम से कम एक चुनाव, लोकसभा का बग़ैर ईवीएम के पोस्टल बैलेट द्वारा करा कर लोगों की शंका दूर कर देनी चाहिए ताकि फिर कभी कोई ईवीएम पर सवाल न उठा सके।


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