आप प्रमुख केजरीवाल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखा

आप प्रमुख केजरीवाल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखा

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार 1 जनवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है। उस पत्र में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर मतदाताओं के नाम हटवाने और कैश बांटने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने भागवत से पूछा है कि क्या वो बीजेपी की ऐसी राजनीति का समर्थन करते हैं। संघ ने केजरीवाल के पत्र पर कोई जवाब नहीं दिया है।

केजरीवाल ने पत्र में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पर ‘खुलेआम’ धन बांटने और दिल्ली की मतदाता सूची से पूर्वांचली व दलित मतदाताओं के नाम कटवाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। उन्होंने भागवत से यह भी पूछा कि क्या वह भाजपा की ऐसी ‘गलत गतिविधियों’ का समर्थन करते हैं। संघ प्रमुख को पत्र लिखकर केजरीवाल ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। केजरीवाल चाहते हैं कि संघ, दिल्ली चुनाव में हिस्सा न ले, जैसा उसने हरियाणा और महाराष्ट्र में किया है।

केजरीवाल यह भी चाहते हैं कि संघ की ओर से दिल्ली के मतदाताओं से कोई अपील न की जाए। इससे पहले, अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र, नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए तीन-आयामी रणनीति अपनाने का आरोप लगाया था, और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को इस बारे में लिखा था।

इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि आरएसएस प्रमुख को लिखी केजरीवाल की चिट्ठी और कुछ नहीं बल्कि मीडिया का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केजरीवाल से कहा कि मीडिया का ध्यान आकृष्ट करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिख ‘राजनीतिक चाल’ चलने के बजाय उन्हें इस स्वयंसेवी संगठन से ‘सेवा की भावना’ सीखनी चाहिए।

यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए त्रिवेदी ने केजरीवाल से कहा, ‘‘संघ (आरएसएस) से सीखिए। पत्र मत लिखिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस से संबद्ध सेवा भारती भारत का ‘सबसे बड़ा संगठन’ है जो झुग्गियों में रहने वाले दलितों सहित अन्य लोगों के कल्याण के लिए काम करता है।उन्होंने कहा, ‘‘सेवा की भावना सीखिए ऐसे संगठनों से (आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों से)। ऐसे राजनीतिक चाल मत चलिए।’’

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