2024 का चुनाव, पीएम मोदी और भाजपा की नैतिक हार है: कांग्रेस 

2024 का चुनाव, पीएम मोदी और भाजपा की नैतिक हार है: कांग्रेस 

शनिवार को कांग्रेस ने दावा किया कि यह लोकसभा चुनाव का जनादेश पीएम नरेंद्र मोदी की नैतिक, राजनैतिक और व्यक्तिगत हार है। अब उनकी तरफ़ से अपने दयनीय चुनाव प्रदर्शन को सही ठहराने की कवायद जारी है। उन्होंने कहा कि, कहा कि इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नैतिक हार हुई है वहीं पार्टी और ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए परिणाम मनोबल बढ़ाने वाला है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की कार्य समिति और संसदीय दल की बैठकों का उल्लेख करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘2024 का चुनाव नरेन्द्र मोदी और भाजपा के लिए एक नैतिक हार है, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ‘इंडिया जनबंधन’ के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है।’’

कांग्रेस नेता ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी के लिए ढोल पीटने वाले उनकी नैतिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत हार वाले जनादेश में भी उम्मीद की किरण तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इसे खूब प्रचारित किया जा रहा है कि जवाहरलाल नेहरू के बाद नरेन्द्र मोदी लगातार तीन बार जनादेश प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं। लेकिन किसी पार्टी को 240 सीटों तक ले जाना और एक-तिहाई प्रधानमंत्री बनना जनादेश कैसे है, इसे स्पष्ट नहीं किया जा रहा है।’’

रमेश ने कहा , ‘‘दूसरी ओर नेहरू को 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटें मिलीं थीं – हर बार दो तिहाई बहुमत। फिर भी वह पूरी तरह से लोकतांत्रिक बने रहे और अपनी निरंतर उपस्थिति से संसद को बेहद संजीदगी से आगे बढ़ाते रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू के बाद मोदी अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने तीन बार शपथ ली हो- लगातार हो या न हो।

रमेश ने कहा , ‘‘दूसरी ओर नेहरू को 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटें मिलीं थीं – हर बार दो तिहाई बहुमत। फिर भी वह पूरी तरह से लोकतांत्रिक बने रहे और अपनी निरंतर उपस्थिति से संसद को बेहद संजीदगी से आगे बढ़ाते रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू के बाद मोदी अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने तीन बार शपथ ली हो- लगातार हो या न हो। अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996, 1998 और 1999 में तीन बार शपथ ली थी और इंदिरा गांधी ने 1966, 1967, 1971 और 1980 में 4 बार।

रमेश ने दावा किया कि एक तिहाई प्रधानमंत्री के लिए ढोल पीटने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके ख़राब चुनावी प्रदर्शन को लाजवाब साबित करने के लिए कुछ भी ढूंढ लेंगे।

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