यूपी सरकार द्वारा मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ कोर्ट जाएगा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, बाराबंकी के राम सनेही घाट तहसील क्षेत्र में सोमवार को पुलिस की तैनाती के बीच दशकों पुरानी मस्जिद गिराए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कहना है कि वह जल्द ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा और इस सप्ताह की शुरुआत में मस्जिद को बहाल करने और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा।
सियासत डॉट कॉम के अनुसार बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह का कहना है कि अज्ञात लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से संरचना का निर्माण किया था, जो 15 मार्च को नोटिस भेजे जाने पर फरार हो गए थे।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने 18 मार्च को ढांचे को अपने कब्जे में ले लिया था और उस दिन ही सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के बाद इसे ध्वस्त कर दिया गया था।
जबकि मुस्लिम समूह का कहना है कि ये मस्जिद को अवैध रूप से तोड़ा गया है।
सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी ने कहा, “यह स्थानीय प्रशासन की मनमानी है।”
बाराबंकी निवासी और वकील इकबाल नसीम नोमानी दरियाबादी ने कहा कि वो पिछले तीन दशकों से मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे।
उनका कहना है कि वो महामारी के दौरान जल्दबाजी में की गई कार्रवाई के पीछे के मकसद को समझने में असमर्थ हैं।
जिले के एक अधिकारी ने कहा कि ‘अवैध ढांचे’ को पहली बार मार्च में एक सत्यापन अभियान के दौरान हरी झंडी दिखाई गई थी। उन्होंने कहा, “पहचान प्रमाण दिखाने के लिए कहने पर वहां रहने वाले तीन लोग भाग गए थे।”
ग़ौर तलब है कि सुन्नी बोर्ड ने एक बयान में दावा किया कि यह ‘100 साल पुरानी मस्जिद’ थी जिसको अवैध रूप से तोड़ा गया है