- जम्मू कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की कोई समय सीमा नहीं: केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव के लिए तैयार है। इसने कहा है कि चुनाव पर अब फ़ैसला चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग को लेना है। केंद्र का यह बयान अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया।
सरकार शीर्ष अदालत के उस सवाल का जवाब दे रही थी कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के 12वें दिन केंद्र सरकार ने दोहराया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है, हालांकि उसने राज्य का दर्जा वापस देने के लिए समय सीमा तय करने से परहेज किया।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई सटीक समयसीमा नहीं दे सकती। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक संविधान पीठ से कहा।
रिपोर्ट के अनुसार एसजी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए काम शुरू किया गया है। मैं कुछ उदाहरण दे सकता हूँ कि कैसे यह एक राज्य बनने की दिशा में प्रगति कर रहा है। हालाँकि मैं सटीक (विवरण) देने में असमर्थ हूँ।
मंगलवार को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था, जो जून 2018 से निर्वाचित सरकार के बिना है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान केंद्र ने हालांकि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा देने से इनकार कर दिया।
लद्दाख के नेताओं और याचिकाकर्ताओं ने सॉलिसिटर जनरल के इस बयान पर निराशा व्यक्त की है कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। पिछले दो वर्षों में क्षेत्र को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद केंद्र ने कहा था कि वह सही समय पर राज्य का दर्जा बहाल करेगा। गृहमंत्री अमित शाह ने भी यही बात दोहराई है लेकिन इस तरह के कदम के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।