कल शाह से मिले थे, आज PM मोदी से मिलेंगे योगी

कल शाह से मिले थे, आज PM मोदी से मिलेंगे योगी; अचानक दिल्ली दौरे की वजह सरकार और संगठन में बदलाव को लेकर विमर्श, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आज कल दिल्ली दौरे पर हैं, जहां कल उनकी अमित शाह से मुलाक़ात हुई थी और आज प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करेंगे, अचानक योगी के दिल्ली जाने पर राजनीतिक चर्चाएं तेज़ हो गईं, कल डेढ़ घंटे अमित शाह से मुलाक़ात के बाद आज प्रधानमंत्री से मुलाक़ात होनी है।

आख़िर क्या वजह है जिसके कारण योगी दिल्ली दौड़ के गए? योगी के अचानक दिल्ली जाने के पीछे क्या कुछ हो सकता है उसे इस स्टोरी में पेश किया जा रहा है।

UP के कुछ सांसदों, विधायकों और मंत्रियों द्वारा दिए गए रिव्यू से पार्टी के भीतर की गतिविधियों से BJP नेतृत्व परेशान है, पार्टी के साथ साथ RSS के लिए भी यह चिंता का विषय है, इससे पहले दोनों के बीच कई मीटिंग हो चुकी हैं, लखनऊ में तीन दिन की फ़ीड बैक के बाद BJP के सीनियर नेता बी एल संतोष और राधा मोहन सिंह ने भी चिंता ज़ाहिर की है।

NDTV के सूत्रों की रिपोर्ट मानें तो BJP और RSS के बीच चर्चा और मीटिंग्स में आने वाले रिव्यू में यही सच्चाई सामने आई कि योगी सारे नेताओं को साथ लेकर चलने में असमर्थ रहे हैं, क्योंकि योगी ठाकुर जाति से हैं इसलिए ग़ैर ठाकुर नेता ख़ुद को कम आंक रहे हैं, सांसदों और विधायकों की भी यही शिकायत है कि वह मुख्यमंत्री से संपर्क में नहीं हैं और यह निराशा इस Covid-19 महामारी की दूसरी लहर में और अधिक बढ़ गई है।

गृह मंत्री अमित शाह से योगी आदित्यनाथ की मुलाक़ात हो चुकी है अब मोदी से मिलेंगे, सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने साथ वह सभी साक्ष्य ले गए हैं जिसने वह प्रूफ़ कर सकें कि उनकी सरकार ने सेकेंड वेव में ठोस क़दम उठाए और मिसमैनेजमेंट नहीं होने दिया और यह सारे साक्ष्य और दस्तावेज़ अलग अलग विभाग से जमा किए हैं।
अटकलें तो यह भी लगाई जा रही थीं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में चुनाव का चेहरा योगी की जगह कोई और होगा, लेकिन अभी दो तीन दिन पहले ही यह कहा गया कि उत्तर प्रदेश से योगी के चेहरे को हटाना उल्टा दांव साबित हो सकता है इसलिए चुनाव का चेहरा तो योगी ही रहेंगे।

ऐसे में सवाल यह है कि चुनाव का चेहरा तो योगी होंगे लेकिन ख़राब होने वाली छवि को कैसे सुधारा जाएगा, यही वह मुद्दा है जिस पर चर्चा के लिए योगी आदित्यनाथ दिल्ली तलब किए गए हैं, सूत्र बता रहे हैं कि BJP टॉप नेतृत्व बीच का कोई रास्ता निकाल रही है, और इसी संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी योगी दिल्ली पहुंचे हैं, केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी ए के शर्मा जैसे चेहरों को उत्तर प्रदेश कैबिनेट में लाना चाहती है।

दूसरा अहम मुद्दा जिस पर चर्चा संभव है वह उत्तर प्रदेश में BJP अध्यक्ष का है, केंद्र सरकार चाहती है कि इस पद पर किसी ब्राह्मण को बिठाया जाए और योगी का कहना है कि स्वतंत्रदेव सिंह इसी पर बने रहें, अभी कल ही कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद जो कि ब्राह्मण हैं और उनके BJP में शामिल होते ही योगी का यह दौरा उनके इरादे ज़ाहिर कर देता है, केंद्र का इरादा सरकार और संगठन के बीच जातीय गणित में बैलेंस करने का है।

उत्तर प्रदेश में पिछले 20 दिनों में यह 5 बड़े संकेत सामने आए हैं:
यूपी में कैबिनेट का विस्तार जल्द ही किया जा सकता है, साथ ही नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना।
उत्तर प्रदेश सरकार से रूठे विधायकों को संगठन में उच्च पद दिया जा सकता है और साथ ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
चुनाव से पहले चुनावी मैदान में BJP से पहले RSS की टीम आ सकती है।
आने वाले विधानसभा चुनाव में BJP का चेहरा योगी आदित्यनाथ ही होंगे।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को भी बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है।

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