इस साल जून तक 87,000 से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी: जयशंकर का बयान
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में उन लोगों के बारे में जानकारी दी जो भारत से विदेश चले गए हैं और भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि अब तक 87 हजार से ज्यादा भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने यह जानकारी दी और कहा कि यह संख्या जून 2023 तक है।
एस जयशंकर का कहना है कि ताजा आंकड़े सामने आने के बाद 2011 से अब तक भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या 17.50 लाख से ज्यादा हो गई है। जो लोग अपनी नागरिकता छोड़ देते हैं वह अब उस देश के नागरिक बन जाते हैं जहां वह बसे हैं। जयशंकर ने लोकसभा में यह भी बताया कि लोग अपनी भारतीय नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने व्यक्तिगत सुविधा के कारण विदेशी नागरिकता का विकल्प चुना है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत दोहरी नागरिकता की पेशकश नहीं करता है। इसलिए, जब भारतीय नागरिक विदेश जाते हैं, तो जिस देश में वे गए हैं, उसके लिए पीआर सुरक्षित करने के लिए उन्हें कभी-कभी अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने की आवश्यकता होती है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकसभा को बताया कि 2022 में 225,620 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी, जबकि 2021 में 163,370 और 2020 में 85,256 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी। अगर हम और पीछे की बात करें तो 2019 में 144 017, 2018 में 134561, 2017 में 133049, 2016 में 141603, 2015 में 131489, और 2014 में 129,328 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी।
ग़ौरतलब है की कोरोना से पहले भाजपा सरकार सीएए बिल लायी था जो राज्य सभा और लोक सभा से पास भी हो गया था, जिस्ले विरोध में पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमे शाहीन बाग़ आंदोलन भी शामिल है जो दो महीने से ज़्यादा चला था, और कोरोना के कारण समाप्त कर दिया गया। लेकिन अब ख़ुद से नागरिकता छोड़ने के आंकड़े परेशान करने वाले हैं।