यमन युद्ध, अतिक्रमणकरी सऊदी गठबंधन ने क्या खोया, क्या पाया ? भाग -3

यमन युद्ध, अतिक्रमणकरी सऊदी गठबंधन ने क्या खोया, क्या पाया ? भाग -3

यमन युद्ध आठवें साल में प्रवेश कर गया है और सऊदी अरब इस युद्ध की दलदल से निकलने के लिए हाथ पैर मार रहा है लेकिन उसे इस युद्ध से सम्मानजनक रूप से निकलने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। हाँ यमनी प्रतिरोध ने इस अवधि में दुनिया भर के लिए दो अहम् सन्देश दिए हैं।

वह ज़माना गुज़र गया जब सऊदी अरब इस देश में जहाँ चाहता था हमला करता था और जवाबी कार्रवाई से भी सुरक्षित था। पिछले कुछ वर्षों पर गहराई से नज़र डालें तो पता लगेगा कि यमन युद्ध में शक्ति सनतुलन में जहाँ बड़ा बदलाव आया है वहीँ युद्ध के सारे समीकरण बी बदले हुए नज़र आ रहे हैं।

इन सबसे अलग, जो बात इतिहास हमेशा याद रखेग वह इस युद्ध में सऊदी नीत गठबंधन के युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध घृणित कृत्य हैं। हम पहले दो लेख में मानवता के विरुद्ध सऊदी अरब के कुछ अपराधों के आंकड़ें बता चुके हैं जिन पर अगर विस्तार से लिखा जाए तो पुस्तकें तैयार हो जाएं।

यमन युद्ध से ऐसा प्रतीत होता है जैसे सऊदी अरब सुनियोजित रूप से जनसंहार में लगा हुआ है। यमन का मूल आधारभूत ढांचा और जनसेवा केंद्र ,अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, वाटर प्लांट , मस्जिद, आम रिहायशी इमारतें, बाजार, शोक सभा या शादी समारोह जहाँ आले सऊद हमलों के निशाने पर रहे हैं वहीँ इस युद्ध में भारी संख्या में महिलाऐं और बच्चे भी सऊदी गठबंधन के निशाने पर रहे हैं।

यमन में सऊदी अरब के बर्बर युद्ध अपराधों का मुख्या निशाना बच्चे बन रहे हैं। यमनी बच्चे सऊदी अपराधों के मुख्य शिकार हो रहे हैं। यमन के बच्चे सऊदी अपराधों के मुख्य शिकार हैं, सऊदी अरब के सीधे हमलों से बच जाने वाले अधिकांश बच्चे अतिक्रमणकारी गठबंधन की ओर से की गई यमन की क्रूर घेराबंदी के कारण कुपोषण के परिणामस्वरूप मर जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक व्यापक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 377,000 बच्चे यमन के खिलाफ अमेरिका-सऊदी हमलों में मारे गए हैं, जिनमें से लगभग 70% पांच साल से कम उम्र के थे।

संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम के अनुसार, मारे गए बच्चों में से लगभग 60% की मौत अप्रत्यक्ष कारणों से हुई। लगभग 226,000 बच्चे सऊदी गठबंधन की ओर से यमन की नाकाबंदी के कारण इलाज के अभाव और भोजन, पानी न मिलने तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमसं लगाते हुए कहा है कि अगर 2030 तक यमन युद्ध जारी रहा, और हालत ऐसे ही रहे तो यमन में मौत का यह आंकड़ा और अधिक भयावह होगा और मरने वालों की संख्या कम से कम 1.3 मिलियन होगी।

यमन की गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने कहा था कि यमन का मानवीय संकट दुनिया में अपनी तरह का सबसे दुखद एवं पीड़ादायक संकट है। यमन में बीमारिया फ़ैल रही हैं जिसने कई लोगों की जान ले ली है। 700,000 से अधिक लोग महामारी की चपेट में हैं जिसमें 25 प्रतिशत पांच साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं।

खुद को इस्लामी जगत का ठेकेदार कहने वाले सऊदी अरब के हमलों के कारण यमन में विकलांग बच्चों की संख्या 5559 तक पहुंच गई है, जबकि सऊदी हमलों के बाद 71 हजार मामलों में बच्चों में कैंसर के ट्यूमर की शिकायत दर्ज की गई है। यह आंकड़ा 9 हजार प्रतिवर्ष हैं।
आले सऊद के हमलों और यमन की नाकाबंदी के कारण इस देश के 3 मिलियन बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं, जबकि 300 से अधिक बच्चे प्रतिदिन मर रहे हैं। हालत इतने भयावह हैं कि 3,000 से अधिक बच्चों को तत्काल ओपन हार्ट सर्जरी के लिए यमन से बाहर जाने की आवश्यकता हैं लेकिन नाकाबंदी के कारण नहीं जा सकते।

यमन पर सऊदी गठबंधन के हमलों के कारण 2 मिलियन से अधिक यमनी बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं जबकि 5 लाख से अधिक बच्चे इन हमलों के बाद स्कूल छोड़ चुके हैं।

महिला और बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन इंतेसाफ़ की रिपोर्ट के अनुसार 8 नवंबर, 2021 तक, यमन में लगभग 600,000 बच्चों ने समय से पहले जन्म लिया है लेकिन अस्पतालों पर सऊदी हमलों और यमन की नाकाबंदी के कारण उन्हें ज़िंदा रखने के लिए ज़रूरी उपकरण इस देश में मौजूद नहीं हैं।

इंतेसाफ़ के अनुसार 400,000 से अधिक यमनी बच्चे भी गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं, जिनमे से 80,000 कभी भी काल के गाल में समा सकते हैं। यमन युद्ध में बच्चे किस प्रकार सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन का शिकार बन रहे हैं यह जानने के लिए इतना काफी है कि यमन में पैदा होने वाले प्रत्येक 1,000 बच्चों में से 27 बच्चे मौत का निवाला बन रहे हैं। यमन में पैदा होने वाले 3,000 से अधिक बच्चों को हृदय रोग है।और अतिक्रमणकारी सऊदी गठबंधन ने यमन में हृदय रोगियों के लिए चिकित्सा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, इस कारण भी हज़ारों बच्चों समेत हृदय रोग से पीड़ित हजारों लोग काल की गाल में समा रहे हैं।

यमन पर सऊदी अरब के बर्बर हमले और इस देश की आमनवीय नाकाबंदी के कारण यमन में गंभीर और लाइलाज बीमारियों का जाल फ़ैल रहा है, जिनमें कैंसर सबसे आम है। अमानवीय घेराबंदी और चिकित्सा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध के कारण, यमन के अंदर इन बीमारियों का इलाज संभव नहीं है, और दूसरी ओर, अतिक्रमणकारी गठबंधन यमनियों को इलाज के लिए विदेश यात्रा करने की रास्ते भी बंद किये बैठा है।

यमन की घेराबंदी और चिकिस्ता उपकरणों तक पहुँच न होने के कारण होने वाली मौत के बारे में बात करते हुए यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. मुतह्हर अल-मुरो ने कहा कि अतिक्रमणकारी गठबंधन की ओर से की गई घेराबंदी तथा आवश्यक और पर्याप्त दवाओं के आयात पर प्रतिबंध के कारण यमन में कैंसर रोगियों में मृत्यु दर बहुत अधिक है, यहां यमन ऑन्कोलॉजी सेंटर में हर दिन एक मरीज की मौत हो रही है। यह आंकड़ा प्रतिवर्ष 300 से अधिक है। डॉ मुतह्हर के अनुसार यमन में कुल कैंसर रोगियों की संख्या 80,000 है, सात साल पहले तक यह संख्या 50 हज़ार होती थी। 30,000 लोग सात साल पहले देश के खिलाफ सऊदी आक्रमण की शुरुआत के बाद कैंसर से पीड़ित हुए हैं।

जारी है…….

मौलाई जी

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