अरबईन मार्च, दुनिया के सबसे बड़े मार्च की दिलचस्प दास्तान अरबईन मार्च वास्तव में चेहलुम के मौके पर होता है।
अरबईन मार्च कर्बला की ओर आने वाले रास्तों विशेष कर नजफ़ और कर्बला मार्ग पर पद यात्रा को कहते है जो चेहलुम के अवसर पर होती है। अब सवाल होता है यह चेहलुम है क्या ?
चेहलुम इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है। पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत हुसैन को अरेबिक कैलेंडर के मोहर्रम महीने की 10 तारीख को कर्बला नामक शहर में यज़ीद की क्रूर सेना ने शहीद कर डाला था। हज़रत इमाम हुसैन के साथ उनके बेटों, भाईयों, भतीजों, दोस्तों और भांजो को भी दर्दनाक तरीके से शहीद कर दिया गया था। उनकी शहादत के चालीसवें दिन को चेहलुम कहते हैं।
अब आप आएं एक ही वक्त में एक ही स्थान पर जुटने वाली सबसे बड़ी भीड़ के विश्व-रिकार्ड पर नज़र डालिए। पहले पांच पायदानों पर दो धार्मिक आयोजनों का कब्ज़ा है। ये दोनों आयोजन हैं इराक में होने वाले अरबईन मार्च और भारत में होने वाले कुंभ मेला।
दोनों ही आयोजन के बारे में यह मिथक है कि यह साल दर साल अपना ही पिछला रिकार्ड तोड़ दिया करते हैं। आंकड़ों पर नज़र डालिये तो ये सही साबित भी होता है। प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में जहां 2-3 करोड़ की भीड़ जुटी तो वहीं अरबईन मार्च के दौरान इराक के कर्बला शहर में 4-6 करोड़ की भीड़ दिखाई पड़ना आम बात है। अरबईन मार्च के ये आंकड़े हर साल बढ़ते जाते हैं जबकि कुंभ मेले में प्रति 12 वर्षों या फिर 6 वर्षों पर यह आंकड़ा बढ़ता है।
कुंभ मेले में जुटने वाली भीड़ के बारे में और इसकी आस्था को लेकर हम सभी को जानकारियां हैं। भारत ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालू कुंभ के अवसर पर गंगा में डुबकी लगाने को लेकर तमाम तरह की जद्दोजहद करते हैं। ऐसे में इसका आयोजन एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी का कार्य होता है। सरकार से लेकर प्रशासन तक सतर्क रहते हैं और साल भर पहले से ही आयोजन की तैयारियों का खांका बनाया जाने लगता है। लेकिन आज हम बात करते हैं उस आयोजन की जो हर साल आयोजित होती है और हर साल इस आयोजन में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है।
अरबईन मार्च एक ऐसे देश में आयोजित होता है जो युद्ध ग्रस्त है , आतंकवाद की मार झेल रहा है और कई वर्षों तक वह युद्ध की आग में जलता रहा है। उसने गृहयुद्ध भी सहे हैं और अमेरिका जैसे ताकत वाले देशों से भी युद्ध का सामना किया है। अर्थव्यव्यस्था की कमर टूटने के बाद हर साल इतने बड़े आयोजन को आयोजित करना वहां की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है।
अरबईन मार्च इराक देश के दो बड़े धार्मिक शहर नजफ और कर्बला के बीच विशेष रूप से दर्शनीय होता है। दोनों शहरों के बीच यह मार्च तकरीबन 85 से 110 किलोमीटर पैदल गश्त के रूप में होता है। अरबईन मार्च के दौरान जो प्रेम, सौहार्द, मोहब्बत, और मेजबानी दिखाई पड़ती है वो एक मिसाल है। इस मार्च में पैदल गश्त के दौरान किसी भी श्रद्धालू को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत या कमी का एहसास नहीं होता है।
स्थानीय लोग एवं दूर देशों से आये हुए ज़ाएरीन कर्बला की ओर आने वाले रास्तों पर देश भरमे मोकिब {सेवा कैंप } लगाते हैं ताकि दूर दूर से आने वाले ज़ाएरीन के लिए खाने-पीने से लेकर मरहम-पट्टी और ज़रूरत का हर सामान उपलब्ध करा सकें। यह कैंप तब तक खुले रहते हैं जब तक इराक से एक एक ज़ाएर आपने अपने वतन की ओर न लौट जाए।
अधिकांश इराक़ी ज़ाएरीन के सेवा करते हुए अपनी साल भर की कमाई और जायदाद तक खर्च कर देते हैं। इस 85-110 किलोमीटर के रास्ते में पड़ने वाला हर मकान श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात खुला रहता है।