इज़रायल का ग़ाज़ा के अस्पताल पर दोबारा हमला मानवता पर हमला है

इज़रायल का ग़ाज़ा के अस्पताल पर दोबारा हमला मानवता पर हमला है

इज़रायल-हमास के बीच जारी संघर्ष के बीच हमलेबाजी लगातारी जारी है। अब यह खबर सामने आई है कि, इज़रायल ने एक बार फिर ग़ाज़ा के ‘अल-शिफा’ नाम के बड़े अस्पताल पर करारा हमला किया है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई हैं।

हमले के बारे में ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि, ‘इज़रायली सेना ने पहले अस्पताल और फिर एंबुलेंस में घायलों को दूसरी जगह ले जाते समय उन पर हमला किया था। हालांकि, इज़रायली सेना ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि इज़रायल इस हमले की चाहे जितनी जांच कर ले लेकिन वह ग़ाज़ा के मासूम, बेगुनाह बच्चों औरतों, मर्दों की हत्या से दामन नहीं छुड़ा सकता जो उसके द्वारा की गई बमबारी में मारे गए हैं।

इस से पहले भी इज़रायल अस्पताल पर हमला कर चुका है, जिसमे 800 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि घायलों की संख्या हज़ारों में थी। इज़रायल उस हमले का आरोप हमास पर लगा रहा था, लेकिन यह एक ऐसा झूठ था जो केवल इज़रायल द्वारा बोलै गया था, जिस पर केवल इज़रायल को ही विश्वास था।

इज़रायल जिस तरह से ग़ाज़ा पर अत्याचार कर रहा है। वहां की माताओं की गोद उजाड़ रहा है, उस से यह प्रतीत होता है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का कोई डर नहीं है या फिर वह संयुक्त राष्ट्र को अपनी कठपुतली समझता है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र में युद्ध-विराम प्रस्ताव पारित होने के बाद भी उसका हमला नहीं रुका बल्कि उसके अत्याचार और हमले में आश्चर्य जनक तरीक़े से और तेज़ी आ गई।

इज़रायल द्वारा लगातार ग़ाज़ा और वहां के अस्पताल पर हमले का शायद दूसरा कारण यह हो कि उसे मालूम है कि उसके वफ़ादार इस्लामिक देश उसके इस हमले पर उसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलेंगे। यह मुस्लिम देश केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए यही कहते रहेंगे कि युद्ध रुकना चाहिए, उसके बाद यह मुस्लिम देश आराम से अपने मसनद पर बैठ कर हमारे हमले और ग़ाज़ा के मज़लूमों और शहीदों के ख़ून का तमाशा देखेंगे।

इज़रायल अपने हमले को हमास के विरुद्ध बदला बता रहा है लेकिन कोई अरब देश उस से यह नहीं पूछ रहा है कि इन मासूम बच्चों का क्या क़सूर जो तेरे हमले में शहीद हो रहे हैं? उन माओं का क्या क़सूर जिनकी तूने गोदें उजाड़ दीं ? उन बेसहारा और बेघर लोगों का क्या क़सूर जिनका तूने सहारा छीन लिया, जिनका तूने घर उजाड़ दिया ? क्या अपना बदला पूरा करने के बाद तू उनका सहारा वापस करेगा? क्या उजड़ी हुई गोद को आबाद करना तेरे हाथों में है ? क्या उन बच्चों को उनकी मुस्कुराहटों के साथ ज़िंदा कर सकता है जो हँसते खेलते तेरे हमले के कारण मौत की आग़ोश में पहुँच गए?

तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने कहा था कि हमास कोई आतंकवादी संगठन नहीं है बल्कि इज़रायल के अत्याचार के कारण वजूद में आने वाला वह संगठन है जो फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए लड़ रहा है। अगर अर्दोगान इस बात को जानते हैं तो अब तक ख़ामोश क्यों हैं ? खुलकर फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े क्यों नहीं होते ? जबकि तुर्की की जनता ने ग़ाज़ा के समर्थन में अमेरिकी एयर बेस पर हमला कर दिया था। जब वहां की जनता फ़िलिस्तीन के समर्थन में खड़ी है तो फिर अर्दोगान को किस चीज़ का इंतज़ार है? ग़ाज़ा की मज़लूमों पर वह पाखंड क्यों कर रहे हैं ?

ग़ाज़ा के अस्पताल में बच्चे मरीज़ मर रहे हैं और इस्लामिक देश तमाशा देख रहे हैं। शायद वह तब तक नहीं बोलेंगे जब तक ग़ाज़ा में अल-शिफा अस्पताल का एक एक बच्चा, एक एक मरीज़ नहीं मर जाएगा। वह तब तक नहीं बोलेंगे जब तक पूरा ग़ाज़ा जल कर राख न बन जाए। शायद वह तब तक नहीं बोलेंगे जब तक उन्हें यक़ीन न हो जाए कि ग़ाज़ा के क़ब्रिस्तान में फ़ातेहा पढ़ने के लिए अब कोई नहीं है।

ग़ाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-कदरा का बयान
हमने अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक रेड क्रॉस को इसकी सूचना दी है। हमास समर्थित टीवी चैनल अल-अक्सा ने पहले कहा था कि इस हमले के बहुत लोगों की जान गई है, लेकिन जो बयान जारी किया गया है, उसमें हताहतों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

वहीं, इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन से चर्चा करते हुए कहा है कि, ‘बंधकों की रिहाई के बिना हमास के खिलाफ युद्ध नहीं रोकेंगे।” इतना ही नहीं नेतन्याहू ने इस्राइल द्वारा ग़ाज़ा में ईंधन के प्रवेश की अनुमति देने की सभी रिपोर्टों को भी खारिज कर यह बात कही है कि, ‘हम ग़ाज़ा में ईंधन के प्रवेश की इजाजत नहीं देंगे।

इज़रायल अस्थायी युद्ध-विराम से इनकार करता है, जिसमें इज़रायली बंधकों की रिहाई शामिल नहीं है। साथ ही इज़रायल ग़ाज़ा में ईंधन और धन भेजने का विरोध करता है। PM नेतन्याहू द्वारा आगे यह बात भी कहीं है कि, इज़रायल के दुश्मनों का लक्ष्य इस देश को मिटाना है, लेकिन वे इसमें कभी कामयाब नहीं होंगे। इज़रायल जीत हासिल करने तक नहीं रुकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles