विधानसभा चुनाव: बीजेपी चुनाव कैसे जीतती है…? पार्ट 2

लोगो को एक बहुत बड़ी गलतफहमी है कि चुनाव जीतने के निर्वाचन क्षेत्र की लिए सारी EVM में छेड़छाड़ करनी होती है विशेषज्ञों का कहना है कि एक निर्वाचन क्षेत्र में 5-10% ईवीएम को हैक कर के मनचाहे परिणाम हासिल करने किये जा सकते हैं… बशर्ते आपको यह मालूम हो कि आपको किन बूथों पर ऐसा करने की आवश्यकता है कुछ ही बूथों पर बदले गए वोट पूरे क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की ताकत रखते हैं यह सब स्ट्रेटेजिक रूप से किया जाता है

त्रिपुरा का ही उदाहरण लेते हैं यह आसानी से पता लग जाता है कौन से बूथ में त्रिपुरा की सत्तारूढ पार्टी सीपीएम के खिलाफ वोट गिरते आए हैं. त्रिपुरा में एक्सपर्ट ने सर्वे डेटा, जाति और अर्थ-सामाजिक तथ्यांकों को मिलाया. भाजपा के पूर्व रणनीति कार रहे शिवम शंकर सिंह बताते हैं कि “हमने फोकस समूह चर्चाएं की और जानना चाहा कि कौन से जातीय और आदिवासी समुदाय किन पार्टियों को वोट देते हैं. उसके बाद हमने एक एक बूथ पर मेहनत की …”

जाहिर था कि उन्हें किन बूथों पर अधिक ध्यान देना है यह उन्हें पहले से मालूम होता है असली खेल चुनाव आयोग से शुरू होता है पहले यह प्लान किया जाता है कि किस इलाके में किस बड़े नेता की सभा/ रैली/ रोड शो होगा फिर चुनाव आयोग उसी के आधार पर प्रदेश के चुनाव में विभिन्न चरणों की घोषणा करते हैं, अब बंगाल जैसे क्षेत्र में आठ चरण में चुनाव कराने की कोई वास्तविक जरूरत नही है लेकिन कराए जा रहे हैं… इसी बीच प्रधानमंत्री बांग्लादेश दौरा कर एक विशेष बंगाली समुदाय को प्रभावित करने में लगे हैं…

चुनाव के हर चरण में बीजेपी बढ़ चढ़कर दावे करती है बंगाल में पहले चरण के बाद अमित शाह ने दावा किया कि बीजेपी 30 में से 26 सीटे जीतेगी….कायदे से इस तरह के बयान दिए नही जाने चाहिए

कल चुनाव आयोग ने असम के आठ अखबारों को नोटिस जारी किया है, जिसमें भाजपा के एक विज्ञापन के शीर्षक के रूप में यह दावा किया गया है कि पार्टी सभी 47 सीटों पर जीत हासिल करेगी, विज्ञापनों को समाचार पत्रों के मुख पृष्ठ पर “मतदाताओं के मन को पूर्वाग्रह से ग्रसित करने के लिए एक तरीके से प्रस्तुत किया गया है और विज्ञापनों का यह जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल हुआ है’ ये बात की गई…

लेकिन क्या यह खबर आपने कही भी पढ़ी ? यानी हर तरह से मतदाता के माइंड को हैक करने का प्रयास किया जाता है यह सब जानते बुझते किया जाता है और EVM को अंतिम हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है …..

EVM की बात उठाने वालों को हर तरह से हतोहत्साहित किया जाता है….. आप को जानकर आश्चर्य होगा कि अभी बंगाल में सिर्फ पहले चरण की वोटिंग हुई है ओर वहाँ हुए अधिक मतदान के बीच ही ईवीएम की गड़बड़ी की शिकायत तृणमूल कर रही है वे कह रही है कि वोटिंग मशीनों को कुछ स्थानों पर ‘फिक्स्ड’ किया गया है। लेकिन कोई इस पर संज्ञान नही ले रहा ?

त्रिपुरा में 2018 के चुनाव में वाम मोर्चा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने EVM में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे उन्होंने जिस सीट धनपुर से चुनाव लड़ा वहाँ गड़बड़ी के भी सुबूत मिले थे उस वक्त निर्वाचन आयोग ने भी यह स्वीकार किया था कि चार विधानसभा सीटों के चार मतदान केंद्रों में मतदाताओं की कुल संख्या और वहां हुए मतदान की संख्या अलग-अलग रही,

उस वक्त वाम मोर्चा ने चुनाव आयोग को भेजे गए एक ज्ञापन में आरोप लगाए थे कि ईसीएल अभियंताओं ने राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में चुनाव से एक दिन पहले रात में ही ईवीएम खोल दी। पानीसागर विधानसभा क्षेत्र में सभी ईवीएम के अलावा धर्मनगर के 12 और जुब्राजनगर के तीन ईवीएम खोली गयीं। उन्होंने कहा कि इससे संदेह उत्पन्न होता है क्योंकि निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उम्मीदवारों के अनुरूप पूरी तरह से तैयार ईवीएम को खोलने का अधिकार किसी को नहीं है। यह भी रहस्य बना हुआ है कि अभियंताओं ने मशीन के साथ क्या किया होगा ?

न केवल खेल EVM के जरिए किया जाता है बल्कि काउंटिंग के वक्त भी बहुत कुछ पलटाया जाता है आज जैसे नंदीग्राम में ममता लड़ रही है वैसे ही 2018 में माणिक सरकार धनपुर में लड़ रहे थे काउंटिंग के वक्त एक समय ये स्थिति आ गयी थी कि टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी कि माणिक सरकार 2000 वोटों से पीछे चल रहे हैं. उस वक्त लगा था मानिक सरकार भी हारेंगे

जैसे ही काउंटिंग की शुरु हुई माणिक सरकार बीजेपी उम्मीदवार से पीछे ही चल रहे थे यह हैरान करने वाली बात थी बताया जा रहा है 4 राउंड की काउंटिंग तक सरकार पीछे रहे वहीँ उसके बाद बीजेपी ने शिकायत की कि ईवीएम मशीन पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर नहीं हैं,

यानी अपने उम्मीदवार के आगे होने के बावजूद बीजेपी यह शिकायत करने लगी कि एक विशिष्ट जगह की ईवीएम में पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर नही है नहीं हैं, तुंरन्त चुनाव आयोग ने उसके बाद काउंटिंग बंद करवा दी

इसके बाद माणिक सरकार ने खुद सामने आकर बयान दिया कि बीजेपी माहौल खराब मतगणना को प्रभावित कर रही है…सीपीएम द्वारा आयोग में इसकी शिकायत करने पर देर शाम रीकाउंटिंग हुई, जिसमें माणिक सरकार 5142 वोटों से जीत गये… वो भी पूरे परिणाम आने के बाद

यह तो हॉट सीट का मामला था तो प्रकाश में आ गया लेकिन कितनी ही सीटो पर तो कलेक्टर अपनी मनमानी कर लेते हैं और मनचाहे फैसले लेकर विशिष्ट पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

इसलिए सिर्फ यह कहना कि बीजेपी सिर्फ EVM में छेड़छाड़।कर चुनाव जीतती है यह पूरी तरह से सही नहीं है बहुत सी लेयर्स में काम किया जाता है कही मतदाताओं के माइंड हैक किये जाते हैं कही चुनाव अधिकारियों के ओर कही EVM हैक की जाती है… यानी पूरी ‘कायनात’ मिल कर बीजेपी को चुनाव जिताने मे जुट जाती है

गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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