शी जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल मिलेगा कि नहीं, सीपीसी की बैठक शुरू चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीसरा कार्यकाल पाने में सफल होंगे या नहीं यह अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन वह अपने लिए बहुत ही आसानिया पैदा कर चुके हैं।
शी जिनपिंग ने आजीवन सत्ता में बने रहने के लिए अपने रास्ते आसान करते हुए 2018 में एक संवैधानिक संशोधन किया था जिसके बाद ही यह क़ानूनी बाध्यता खत्म हो गई थी के दो कार्यकाल के बाद कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर नहीं बना रह सकता।
शी जिनपिंग ने इस संशोधन के बाद अपने तीसरे कार्यकाल की संभावना बना ली थी और वह अपने पूर्ववर्ती हू जिनताओ की तरह बाध्य नहीं रहेंगे के दो कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो जाएं।
2018 में हुए इस संवैधानिक संशोधन के बाद उनके आजीवन सत्ता में बने रहने के रास्ते खुल गए थे तथा राष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा भी हटा दी गई थी। शी जिनपिंग तीसरा कार्यकाल पाने में सफल होंगे या नहीं होंगे यह बाद की बात है। लेकिन इस संभावना पर मोहर लगाने के लिए सीपीसी की केंद्रीय समिति की बैठक शुरू हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार सीपीसी के सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारी 100 साल पुरानी सत्ताधारी पार्टी के एक दुर्लभ ऐतिहासिक प्रस्ताव पर सोमवार को एक सम्मेलन में चर्चा कर चुके हैं और शी को तीसरा कार्यकाल देने के लिए पेश किए गए प्रस्ताव को पास करने के लिए सीपीसी का 4 दिन सम्मेलन शुरू हो गया है।
चीन के इस बेहद महत्वपूर्ण सम्मेलन में सीपीसी केंद्रीय समिति के लगभग 400 पूर्ण एवं वैकल्पिक सदस्य भाग ले रहे हैं। सीपीसी केंद्रीय समिति के महासचिव शी ने राजनीतिक ब्यूरो की ओर से पार्टी के कार्यों की रिपोर्ट देते हुए पार्टी के 100 वर्षों के कार्यकाल एवं प्रमुख उपलब्धियों पर एक मसौदा भी पेश किया।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस वक्त देश की सत्ता के तीनों प्रमुख केंद्रों पर क़ाबिज़ है। चीन के राष्ट्रपति पद के साथ-साथ सीपीसी के महासचिव के पद एवं केंद्रीय सैन्य आयोग सीएमसी के अध्यक्ष पद पर भी आसीन हैं। राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग अगले साल अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर लेंगे।
चीन की सत्ताधारी पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे शी जिनपिंग के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है। वह पिछले 9 वर्षों में एक शक्तिशाली नेता के रूप में स्थापित हुए हैं। 2018 में हुए संवैधानिक संशोधन के बाद शी जिनपिंग के लिए यह मार्ग भी उपलब्ध हो गया है कि वह आजीवन सत्ता में बने रह सकते हैं। एक राष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की बाध्यता खत्म कर दी गई है।