ईरान के मामले में ट्रम्प और बाइडन दोनों नाकाम रहे: फॉरेन अफेयर्स
विदेश मामलों में अमेरिकी रणनीतियों को बयान करने वाली अमेरिका की मशहूर मैगज़ीन, फॉरेन अफेयर्स ने कहा है कि अमेरिका को JCPOA में ईरान के साथ वापस आना ही होगा और इस काम ले लिए तेहरान को किसी भी तरह मनाना होगा.
जेसीपीओए को फिर से लागू करने के लिए अमेरिका और ईरान की हाल ही में दोहा में हुई बातचीत का उल्लेख करते हुए,फॉरेन अफेयर्स ने लिखा: हाल ही में, ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने दोहा, कतर में 2015 के परमाणु समझौते के फिर से लागू करने के लिए इन डायरेक्ट बातचीत फिर से शुरू की है. हालांकि, बातचीत का यह दौर कामयाब नहीं हो सका है. बाइडन प्रशासन ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिए छटपटा रहा है.
फॉरेन अफेयर्स के मुताबिक़ ईरान अपने तेल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने और अपने अरबों डॉलर को पाने के लिए इस समझौते को लेकर गंभीर है. लेकिन यह बात भी अपनी जगह है कि सिर्फ साझा हित ही इस समझौते की सफलता की गारंटी नहीं है. ईरान आईआरजीसी बल को आतंकी समूह की लिस्ट से निकालने की अपनी मांग पर अडिग है.
फॉरेन अफेयर्स के अनुसार समझौता फिर भी संभव है, भले ही इसे लागू होने में समय लगे और दोनों पक्ष एक दूसरे की नई शर्तें न माने. ईरान और अमेरिका के बीच मतभेद दूर नहीं होंगे लेकिन समझौता फिर भी मुमकिन है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि ट्रम्प प्रशासन ईरान के खिलाफ एक प्रभावी डेटेररेन्स स्ट्रेटेजी अपनाने में नाकाम रहा है यहाँ तक कि ईरान की आईआरजीसी बल की क़ुद्स ब्रिगेड के चीफ मेजर जनरल क़ासिम सुलैमानी की अमेरिका के हाथों शहादत के बाद भी ईरान की नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बाद ईरान ने डरने के बजाए और बहादुरी के साथ अपने मिशन को आगे बढ़ाया है.
फॉरेन अफेयर्स ने ईरान के खिलाफ बाइडन प्रशासन से कड़ा रुख अपनाने की अपील करते हुए कहा कि हमे ईरान के खिलाफ एक व्यापक राजनयिक, आर्थिक, खुफिया, साइबर और सैन्य रणनीति बनाने की ज़रूरत है, ताकि ईरान को उसके परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने से रोका जा सके. हमे ईरान को उसकी नीतियाँ के गंभीर परिणामों से डराना होगा.