चार्ली किर्क से नफ़रत करने वालों को वीज़ा नहीं मिलेगा: अमेरिकी प्रशासन

चार्ली किर्क से नफ़रत करने वालों को वीज़ा नहीं मिलेगा: अमेरिकी प्रशासन

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी क्रिस्टोफर लैंडाउ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर कहा, “हम हिंसा और नफ़रत का समर्थन करने वाले विदेशियों का अपने देश में स्वागत नहीं करेंगे। अमेरिकी प्रशासन का यह ताज़ा फ़ैसलालोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों पर सीधा हमला माना जा रहा है। चार्ली किर्क की हत्या निस्संदेह एक आपराधिक घटना है, लेकिन उसकी आड़ में अमेरिका ने विचारों और आलोचना को अपराध की श्रेणी में डालने की कोशिश शुरू कर दी है।

यह कहना कि “जो लोग हत्या की तारीफ़ करेंगे, औचित्य साबित करेंगे या मज़ाक उड़ाएँगे उन्हें वीज़ा नहीं मिलेगा,” दरअसल उन तमाम लोगों को चुप कराने का तरीका है जो अमेरिकी विदेश नीति, ट्रंप प्रशासन या दक्षिणपंथी विचारधारा के ख़िलाफ़ बोलते हैं। लोकतंत्र में आलोचना और व्यंग्य सबसे बुनियादी अधिकार हैं, लेकिन वॉशिंगटन इन्हें “राष्ट्रीय सुरक्षा” का बहाना बनाकर दबाना चाहता है।

गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि जो विदेशी कट्टरपंथी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या की “तारीफ़ करेंगे, उसका औचित्य साबित करेंगे या उसका मज़ाक उड़ाएँगे,” उन्हें अमेरिकी वीज़ा पाबंदियों समेत कड़े नतीजों का सामना करना पड़ेगा। लैंडाउ ने बताया कि वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की पहचान कर “उचित कार्रवाई” करें। उन्होंने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से ऐसी पोस्ट्स को रिपोर्ट करने की अपील भी की।

ध्यान रहे कि किर्क दक्षिणपंथी नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क़रीबी सहयोगी थे। उन्हें बुधवार को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे यूटाह वैली यूनिवर्सिटी में भाषण दे रहे थे। उनकी मौत ने रिपब्लिकन हलकों को सदमे में डाल दिया है और पार्टी के कई कट्टरपंथी नेता व संगठन उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

विरोध पर कार्रवाई
लैंडाउ की चेतावनी से साफ़ है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में प्रशासन एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) के अधिकारी, जो पहले संगठित अपराध पर ध्यान केंद्रित करते थे, अब विदेशी छात्रों के राजनीतिक विचारों पर, ख़ासकर फ़िलिस्तीन के समर्थन या इज़रायल पर आलोचना के संदर्भ में, कड़ी नज़र रख रहे हैं। अधिकारियों को “अमेरिका-विरोधी” सामग्री के लिए सोशल मीडिया छानबीन का काम भी सौंपा गया है।

नए नियमों के तहत अब अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीज़ा आवेदन करते समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स सार्वजनिक करना ज़रूरी है। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस नीति का बचाव करते हुए कहा, “अमेरिका को ऐसे व्यक्तियों को वीज़ा नहीं देना चाहिए जिनकी मौजूदगी हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के अनुकूल नहीं है।” वहीं, नागरिक स्वतंत्रता समर्थक समूहों ने चेतावनी दी है कि यह क़दम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का ख़तरा रखता है और विदेशी छात्रों व प्रवासियों को असमान रूप से निशाना बना सकता है।

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