यूक्रेन संकट , अमेरिकी राजनयिकों को रूस से निकलने का आदेश अमेरिका और रूस के संबंध बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं। यूक्रेन को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।
यूक्रेन संकट के बीच दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी गुरुवार को मुलाकात करेंगे लेकिन इस मुलाकात से पहले ही मास्को ने अमेरिकी राजनयिकों को रूस से निकलने का आदेश दिया है।
रूस विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने अमेरिकी दूतावास के उन कर्मचारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है जो 3 साल से अधिक समय से मास्को में हैं। रूस ने 31 जनवरी तक अमेरिकी दूतावास के ऐसे कर्मचारियों को अपने देश की सीमा से निकल जाने का आदेश दिया है।
कहा जा रहा है कि रूस ने इस कदम के माध्यम से अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब दिया है। बता दें कि पिछले सप्ताह ही अमेरिका में रूस के राजदूत ने कहा था कि 27 रूसी राजनयिकों को उनके परिवार समेत अमेरिका से निकाला जा रहा है और वह 30 जनवरी को अमेरिका से रवाना हो जाएंगे।
बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा था कि हम भी इसी तरह से जवाब देने का इरादा रखते हैं। उन्होंने 31 जनवरी तक अमेरिकी राजनयिकों को स्वदेश लौटने का आदेश दिया है। याद रहे कि गुरुवार को स्टॉकहोम में यूरोप सुरक्षा और सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में रूसी विदेश मंत्री सरगेई लावरोव और उनके अमेरिकी समकक्ष एंटिनी ब्लिंकेन के बीच होने वाली संभावित बैठक से पहले रूस का यह कदम अमेरिका को ठोस जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
रूस की आरआईए समाचार एजेंसी ने विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के हवाले से कहा कि अमेरिका के नए नियमों का मतलब है कि जिन रूसी राजनयिकों को अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है वह अब अमेरिका में 3 साल के लिए राजनयिक के रूप में काम करने के लिए प्रतिबंधित हैं। याद रहे कि हम मास्को में अमेरिकी दूतावास इस देश में अंतिम ऑपरेशनल अमेरिकी मिशन है जो 2017 की शुरुआत में लगभग 1200 से 120 कर्मचारियों तक सीमित रह गया है।
वाशिंगटन का कहना है कि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों में और कटौती से मिशन के ऑपरेशन पर दबाव बढ़ेगा। रूस और अमेरिका के बीच ताजा विवाद की जड़ यूक्रेन है। यूक्रेन की सीमा के आसपास रूसी सैनिकों को लेकर नाटो और अमेरिका लगातार उसके खिलाफ यूक्रेन पर हमला करने की योजना के आरोप लगाते रहे हैं। यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है लेकिन नाटो के संग उसके अच्छे रिश्ते हैं और नाटो कहता रहा है कि वह पूर्व सोवियत गणराज्य की संप्रभुता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।


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