उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन के अपराधों को सऊदी अरब का समर्थन

उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन के अपराधों को सऊदी अरब का समर्थन अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन के अत्याचारों को सऊदी अरब का भरपूर समर्थन हासिल है। इस बात पर संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब के हालिया रुख ने फिर मुहर लगा दी है।

उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन के अपराधों पर बीजिंग को सऊदी अरब की भरपूर सहमति हासिल है। सऊदी अरब ने शिंजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों एवं अन्य अल्पसंख्यकों को चीन की कार्यवाही की निंदा के लिए पेश किए गए प्रस्ताव के विरोध में वोट देकर बीजिंग को अपने भरपूर समर्थन का ऐलान किया है।

अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ चीन के अपराधों का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में बीजिंग के खिलाफ मानव अधिकारों के उल्लंघन एवं चीन की निंदा करने से इनकार करते हुए सऊदी अरब ने एक बार फिर मुस्लिम हितों की अनदेखी करते हुए अपने पतन का परिचय कराया है।

सऊदी अरब ने अपने आर्थिक हितों का ध्यान रखते हुए चीन में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को सिरे से नकारते हुए उस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं जो चीन के समर्थन एवं उसे मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से बचाता है ।

सऊदी अरब समेत 14 अन्य अरब देश भी खुलकर चीन के पक्ष में उस वक्त सामने आए हैं जब संयुक्त राष्ट्र संघ में 43 देशों ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों की दुर्दशा एवं उनके उत्पीड़न पर चीन की कार्यवाही की निंदा की थी।

आई मॉनिटर 24 की रिपोर्ट के अनुसार उइगर मुसलमानों और उनकी दुर्दशा पर टकराव चीन और पश्चिमी जगत के लिए एक आम बात हो गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा हो या मानव अधिकार परिषद की बैठक, चीन एवं पश्चिमी देशों के बीच उइगर मुसलमानों को लेकर गतिरोध बनता रहा है। लेकिन हाल ही में चीन के समर्थन में जो बयान जारी किया गया है वह अपने आप में एक अभूतपूर्व घटना है। विशेषकर इसलिए भी क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में अरब जगत के मुस्लिम देश शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ में फ्रांस के दूत की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार समिति के सामने पेश किए गए बयान में 43 देशों ने चीन में मानवाधिकारों के हनन को लेकर चिंता जताई थी। इन देशों ने आरोप लगाया था कि चीन ने 1 मिलियन से अधिक लोगों को डिटेंशन सेंटर में डाला हुआ है।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसी जानकारी सामने आई है कि चीन की ओर से इन लोगों को क्रूरता पूर्वक प्रताड़ित किया जाता है। उनके साथ अपमानजनक एवं अमानवीय सुलूक किया जाता है। उन्हें जबरन बाँझ बनाया जा रहा है तथा यौन उत्पीड़न का शिकार बनाते हुए बच्चों को उनके मां-बाप से जुदा किया जाता है।

चीन के विरोध बयान देने वाले 43 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे देश शामिल थे। वहीं 14 देशों समेत 62 देशों ने चीन के समर्थन में बयान देते हुए इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि चीन के खिलाफ राजनीतिक उद्देश्यों से गलत प्रोपैगंडा किया जा रहा है और मानवाधिकारों के हनन की आड़ में इस देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है।

सऊदी अरब के अलावा खुलकर चीन के समर्थन में आने वाले देशों में मोरक्को, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन, लेबनान ,लीबिया, सूडान ,यमन ,सोमालिया, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश भी शामिल हैं।

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