यूक्रेन पर तीन तरफ से रूस का शिकंजा, युद्ध जैसे हालात, चीन को होगा फायदा रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव बेहद गंभीर हो गया है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के हालात बन रहे हैं। रूस के लगभग एक लाख सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से अपने घेरे में ले रखा है। जिसे देखते हुए युद्ध की संभावना बन गई है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन संकट पर जेनेवा में उच्च स्तरीय बैठक हुई है।
रूस ने अमेरिका को विश्वास दिलाया है कि वह यूक्रेन पर हमले में पहल नहीं करेगा साथ ही रूस ने अमेरिका और नाटो से इस बात की गारंटी मांगी है कि वह कभी भी यूक्रेन को नाटो की सदस्यता का ऑफर नहीं देंगे। अमेरिका और रूस के बीच जेनेवा में उच्चस्तरीय बातचीत लगभग 7 घंटे तक चली।
यूक्रेन सीमा पर अपनी सेना की उपस्थिति बढ़ा रहे रूस ने यूक्रेन को पूर्वी क्षेत्र एवं उत्तरी क्षेत्र की ओर से अपने घेरे में ले रखा है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध टालने के लिए जेनेवा में चल रही वार्ता का मंगलवार को भी कोई नतीजा नहीं निकला। रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन के सामने शर्त रखी है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करेगा।
रूस नहीं चाहता कि उसकी सीमा के आसपास भी नाटो के सैन्य पहुंच हो हालांकि अमेरिका ने नाटो में यूक्रेन को भागीदार बनाने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। वहीँ संकट की इस घड़ी में भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए अमेरिका के वाल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस एंड डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट के प्रोफेसर चार्ल्स कहना है कि पश्चिमी जगत और रूस के बीच मध्यस्थता करने के लिए भारत के पास बेहतरीन अवसर है।
रूस पर अमेरिका की ओर से अगर कोई प्रतिबंध लगता है तो उसका झुकाव चीन की ओर हो जाएगा और यह भारत के हित में नहीं होगा। अर्थात से सीधे-सीधे चीन को फायदा होगा और अमेरिका भी सीधे रूप से किसी युद्ध में शामिल नहीं होगा। वहीँ यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना के बारे में पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों का मानना है कि जनवरी के अंत तक सेना की संख्या 1,75 लाख तक पहुंच सकती है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पश्चिमी देशों में एक बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं। रूस को आशंका है कि यूक्रेन अगर नाटो की सदस्यता ग्रहण करता है तो नाटो उसके सीमाक्षेत्र तक पहुंच जाएगा।
याद रहे कि 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला करते हुए उसे अपने अधीन लेते हुए रूस में विलय कर लिया था। सोवियत संघ के विघटन से पहले तक यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था लेकिन अब दोनों देशों में संबंध ठीक नहीं है।


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