इज़रायल भूखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है: रियाज़ मंसूर
संयुक्त राष्ट्र में फ़िलीस्तीनी स्वायत्त सरकार के प्रतिनिधि रियाज़ मंसूर ने ग़ाज़ा पट्टी में जारी संघर्ष और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार को सुरक्षा परिषद में भाषण दिया। उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी, विशेषकर उत्तरी क्षेत्रों में तुरंत सहायता भेजे जाने की अपील की और कहा कि युद्ध-विराम के लिए किसी भी पूर्व शर्त की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
मंसूर ने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इस संघर्ष को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाएँ। मंसूर ने अपने भाषण में कहा, “हम बिना शर्त संघर्ष-विराम और ग़ाज़ा पट्टी में तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारे लोगों की पीड़ा को समझे और उचित कार्रवाई करे।”
इज़रायल भूख को एक साधन की तरह प्रयोग कर रहा है
मंसूर ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि इज़रायल ने ग़ाज़ा में भूख और आवश्यक संसाधनों की कमी को एक हथियार के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया है। अल-जज़ीरा द्वारा प्रसारित उनके बयान के अनुसार, मंसूर ने कहा, “इज़रायल भूख को एक साधन की तरह प्रयोग कर रहा है ताकि जातीय सफाए और भविष्य में अपने अन्य लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।” उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि यह केवल एक युद्ध नहीं है, बल्कि मानवीय संकट की स्थिति को और अधिक भयावह बना रहा है।
इज़रायल पत्रकारों की हत्या कर अपने कृत्यों पर पर्दा डालन चाहता है
मंसूर ने इज़रायल पर फिलिस्तीनी पत्रकारों को निशाना बनाने का भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “इज़रायल ने अब तक 182 फिलिस्तीनी पत्रकारों की हत्या की है ताकि वह अपने कृत्यों पर पर्दा डाल सके और दुनिया को असलियत से दूर रखा जा सके।” मंसूर का यह आरोप इस बात का संकेत है कि इज़रायल ग़ाज़ा में अपनी कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग को नियंत्रित करना चाहता है।
मीडिया से अपील और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता
मंसूर ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और पत्रकारों से अनुरोध किया कि वे इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा में किए जा रहे कथित जनसंहार और मानवाधिकारों के उल्लंघन को सामने लाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया इज़रायल द्वारा किए जा रहे जनसंहारों को उजागर करे ताकि दुनिया सच्चाई को समझ सके और आवश्यक कदम उठाए।”
मंसूर के इस बयान को लेकर विश्व भर के मानवाधिकार संगठनों और देशों से प्रतिक्रिया की उम्मीद की जा रही है। ग़ाज़ा में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, और मानवीय सहायता की कमी, पानी, भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता से लाखों लोगों की जिंदगी पर संकट मंडरा रहा है।


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