फ़्रांस में जैसे जैसे चुनाव का समय निकट आ रहा है सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक खुद को कट्टर इस्लाम और मुस्लमान विरोधी दिखाने पर तुले हुए है। मैक्रों सरकार के एक मंत्री ने धुर-दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली की नेता मैरी ली पेन पर मुसलमानों के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है।
अक्सर आव्रजकों और इस्लाम धर्म के प्रति अपने सख्त रुख को लेकर आलोचना का शिकार होने वाली लीपेन के खिलाफ यह आरोप अजीब माने जा रहे हैं इसलिए फ्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड दार्मेनां के ताजा बयान को फ्रांस में गरमा रहे चुनावी माहौल से जोड़ कर देखा जा रहा है।
जानकारों के अनुसार यह बयान इस बात का संकेत है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की पार्टी रिपब्लिका एन मार्श भी अगला चुनाव आव्रजक और मुस्लिम विरोधी रुख के साथ लड़ने की तैयारी कर रही है। दार्मेनां और ली पेन के बीच इस्लाम के मुद्दे पर टीवी चैनल फ्रांस-2 पर सीधी बहस हुई। इसी दौरान दार्मिनां ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर ली पेन ‘कुछ नरम’ रुख अपना रही हैं।
मैक्रोन के मंत्री ने ली पेन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उयहां आपका रुख पर्याप्त सख्त नहीं है। अगर मैं सही समझ रहा हूं तो आप धर्म के मामले में कानून बनाने को तैयार नहीं हैं और आप कह रही हैं कि इस्लाम समस्या नहीं है। बल्कि समस्या सलफी विचारधारा और मुस्लिम ब्रदरहुड है।’ पर्येवेक्षकों के मुताबिक यह बात कह कर दार्मेनां ने संदेश देने की कोशिश की कि पिछले चुनाव के बाद से ली पेन का रुख नरम हो गया है।
फ़्रांस के गृह मंत्री के इस उग्र रुख से पहले ली पेन सकते में दिखीं। फिर उन्होंने जवाब दिया, ‘इस्लाम किसी दूसरे धर्म की तरह है। मैं इस बात की पुष्टि करती हूं कि मेरा इरादा इस्लाम पर हमला बोलने का नहीं है।’ ली पेन ने कहा कि उनका ऐसा कोई कानून बनाने का इरादा नहीं है, जिससे इस्लाम धर्मावलंबियों को अपने मजहब का पालन करने में दिक्कत आए।
दक्षिण पंथी कट्टर नेता साझी जाने वाली ली पेन ने मैक्रोन सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कुछ इस्लामिक चरमपंथियों के नाम पर सभी लोगों की आजादी को संकुचित करने की कोशिश की है। ली पेन ने अलगाववाद रोकने के लिए उठाए गए हालिया कदमों की आलोचना की। इनमें घर में शिक्षा देने पर लगाई लगाई पाबंदी भी है, जिसे अनेक विशेषज्ञों ने अत्यधिक और निजी स्वतंत्रता में दखल बताया है।
याद रहे कि मैक्रोन सरकार दावा करती रही है कि वह बढ़ते इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला कर रही है। उसके मुताबिक इस्लामी चरमपंथियों ने कई भयानक हमले किए हैं। इनमें हाई स्कूल शिक्षक सैमुएल पैटी की हत्या भी है। पैटी पर आरोप था कि उन्होंने क्लास रूम में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था। उसके बाद घर लौटते वक्त उनकी हत्या कर दी गई। आरोप है कि पैटी की हत्या एक छात्र ने ही की। बताया जाता है कि उसके बाद से स्कूली शिक्षक क्लास में ऐसी बातें कहने से डरते हैं, जिनसे मुस्लिम छात्र नाराज हों।
इस घटना के बाद मैक्रों ने सरकार ने कई मस्जिदों को बंद करवा दिया था। सरकार का आरोप है कि उन मस्जिदों में इस्लामी चरमपंथ की शिक्षा दी जाती थी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि सरकार इस समस्या से गलत ढंग से निपट रही है। उसके रुख से समाज में और भी ज्यादा उग्रवाद फैलेगा। कहा जा रहा है कि मैक्रों 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर अपनी सख्त छवि पेश कर रहे हैं।


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