अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी दिया यूक्रेन को झटका, सहायता से इनकार
अमेरिका और यूरोपीय देशों के सहारे रूस से पंगा लेने वाले यूक्रेन को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं।
अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी इस जंग से खामोशी के साथ अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने साफ कहा है कि वह रूस के खिलाफ नहीं जाना चाहते। यूक्रेन रूस तनाव के बाद हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो के सदस्य देशों ने रूस के खिलाफ जमकर बयानबाजी करते हुए यूक्रेन का हर तरह से साथ देने के दावे किए थे।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने तो यहां तक कहा था कि अगर रूस का एक सैनिक भी यूक्रेन की धरती पर कदम रखता है तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, लेकिन अब एक-एक कर अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो के सदस्य देश यूक्रेन से किनारा कर रहे हैं और रूस के खिलाफ खुलकर सामने आने से कतरा रहे हैं।
यूरोपीय देशों को इस बात का आभास है कि रूस के खिलाफ जाना उनके लिए किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं होगा। कहने को तो अमेरिका नाटो और यूरोप के देश पर्दे के पीछे से यूक्रेन की मदद कर रहे हैं लेकिन यह देश खुलकर रूस के सामने आने से भी कतरा रहे हैं। यूक्रेन और रूस जंग से पहले यही देश थे जो खुलकर कह रहे थे कि अगर यूक्रेन पर हमला हुआ तो रूस को उनकी सेनाओं का सामना करना होगा लेकिन आज युद्ध के 8 दिन पूरे हो गए हैं और इन देशों ने यूक्रेन की ओर से अपने सैनिकों को उतारने से साफ मना कर दिया है।
सबसे पहले तो अमेरिका ने ही पीछे हटने का ऐलान करते हुए कहा था कि वह रूस के साथ युद्ध को अपने हितों के खिलाफ मानता है। अमेरिकी सेना यूक्रेन में रूस के खिलाफ नहीं उतरेगी। अब ब्रिटेन ने भी साफ कह दिया है कि उसका रूस के खिलाफ अपनी सेना को उतारने का कोई इरादा नहीं है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हम यूक्रेन के लिए रूस से युद्ध नहीं करेंगे। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा था कि हम यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सरगेई लावरोव के खिलाफ प्रतिबंध लगाएंगे। उन्होंने यूक्रेन के उन नागरिकों को भी ब्रिटिश वीज़ा देने का ऐलान किया है जिनके परिवार के सदस्य पहले से ब्रिटेन में बसे हुए हैं। हालांकि जॉनसन ने यूक्रेन को तसल्ली देते हुए कहा है कि वह संकट की इस घड़ी में यूक्रेन से मुंह नहीं फेरेगा। हम यूक्रेन के नागरिकों की हर संभव आर्थिक मदद करेंगे तथा उन्हें सैन्य सहायता भी प्रदान करेंगे जो देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ खतरे में डाल रहे हैं।