ज़िन्दगी भर साथ रहेगा कोरोना, मरने वालों की संख्या हो सकती है चार गुना
ब्रिटेन के स्वास्थय मंत्री साजिद जाविद ने कहा है कि ब्रिटेन को कोविड-19 के साथ रहना सीखना होगा दुःख की बात है कि लोग फ्लू से भी मरते हैं। आप एक खराब साल में फ्लू से बीसों हज़ार लोगों को मरते हुए देखते हैं और फ्लू के कारण आप देश को बंद नहीं कर सकते हैं इस लिए देश को कोरोना के साथ रहने कि आदत डालना होगी।
ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना अब महामारी न रहकर एक सामान्य बीमारी कि तरह हमारे साथ रहेगा। कोरोना जाने वाला नहीं है। यह हमारे साथ कई सालों तक या फिर हमेशा के लिए रहने वाला है। हमें इसके साथ रहना सीखना होगा। मुझे लगता है कि हम महामारी से सामान्य रूप से होने वाली बीमारी की ओर बढ़ रहे हैं। हम दुनिया को यह दिखा रहे हैं कि कैसे आप कोविड के साथ रह सकते हैं।
वहीँ अब तक कोरोना से मरने वाले लोगों के वास्तविक आंकड़े पर बात करते हुए प्रख्यात नेचर पत्रिका ने एक खुलासा करते हुए दावा किया है कि कोरोना से मरने वाले लोगों कि वास्तविक संख्या बताई जा रही संख्या से कई गुना अधिक हो सकती है।
दुनिया भर के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2019 के अंत से कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से वायरल बीमारी के कारण 55 मिलियन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध में दावा किया गया है कि वास्तविक संख्या कई गुना अधिक हो सकती है।
कहा जा रहा है कि वैश्विक मंच पर अपनी छवि की रक्षा के लिए देश अपने वास्तविक कोविड-19 मृत्यु दर को छिपाते हैं। इस रिपोर्ट में लंदन में द इकोनॉमिस्ट पत्रिका द्वारा उपयोग किए जाने वाले मशीन लर्निंग दृष्टिकोण को ध्यान में रखा गया है। इसने डेटा के संग्रह के साथ कुछ मुद्दों को पाया और दावा किया कि वास्तविक घातक परिणाम आधिकारिक कोविड-19 डेटा से दो और चार गुना अधिक हो सकते हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नीदरलैंड में सरकार ने महामारी के शुरुआती दौर में सिर्फ उन मरीजों की गिनती की जो संक्रमित होने के बाद अस्पताल में मरे थे। वहीँ दूसरी ओर, बेल्जियम में गंभीर ठंड के कारण होने वाली मौतें और मरीजों का परीक्षण किए बिना कोविड-19 की मौत शामिल है। मरने वालों की संख्या अमीर देशों में ज्यादा और गरीब देशों में कम है। लेकिन 116 देशों के विश्व मृत्यु दर डेटासेट (WMD) के विश्लेषण में कहा गया है कि गरीब देशों में कम मौतें दर्ज की गईं।
डेटा मॉडलिंग के अनुसार, धनी देशों में वास्तविक कोविड-19 की मौत मौजूदा आंकड़ों के एक तिहाई के बराबर हो सकती है। इस बीच, गरीब देशों में वास्तविक मौतें मौजूदा आंकड़ों से 20 गुना अधिक हो सकती हैं। नेचर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डब्ल्यूएचओ जल्द ही मौतों को लेकर अपना पहला आकलन जारी कर सकता है।