ताइवान पर बिना किसी संघर्ष के कब्जा कर लेगा चीन

ताइवान पर बिना किसी संघर्ष के कब्जा कर लेगा चीन चीन और ताइवान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण चल रहे हैं।

ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका समेत पश्चिमी जगत के बीच समय-समय पर तनाव देखा जा सकता है। ताइवान को लेकर चीन में इस समय जो हालात बन रहे हैं उन्हें देखते हुए इस बात की आशंका है कि वह ताइवान के खिलाफ कोई कड़ा एक्शन ले सकता है।

कोरोनावायरस से लड़ने के बहाने चीन ने अपने लोगों को कहा है कि वह खाने पीने का सामान जमा कर लें। कहा जा रहा है कि चीनी बाजारों में भारी चहल-पहल और भगदड़ जैसा माहौल देखा जा रहा है।

ताइवान को लेकर चीन की नीतियां एकदम स्पष्ट है। चीन बार-बार ताइवानी क्षेत्र में घुसपैठ कर रहा है। हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि बीजिंग शांति पूर्वक ताइवान को अपने अधीन ले लेगा जिस पर ताइवान ने विरोध जताते हुए कहा था कि उसके भविष्य का फैसला करने का अधिकार चीन को नहीं है।

ताइवान एक संप्रभु देश है वहीं चीन का दावा है कि ताइवान उनके देश का एक हिस्सा है। चीन की नीतियों को लेकर आशंकित ताइवान ने मंगलवार को बीजिंग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि चीन बिना किसी सैन्य संघर्ष , हमारी सैन्य क्षमताओं को कमजोर कर तथा जनता की राय को प्रभावित करते हुए ताइवान पर कब्जा जमाने की साजिशों में लगा हुआ है। ताइवान रक्षा मंत्रालय ने अपनी दो वर्षीय रिपोर्ट में कहा है कि ताइवान पर नियंत्रण करने के लिए चीन ग्रे ज़ोन रणनीति का सहारा ले रहा है।

विरोधी के खिलाफ सीधे संघर्ष से बचते हुए अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाते हुए चीन ने अक्टूबर में अपने राष्ट्रीय दिवस पर ताइवान के दक्षिण पश्चिम में 149 युद्धक विमान भेजे थे। ताइवान रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपनी इन हरकतों से ताइवान की वायु सेना को कमजोर करने के प्रयास कर रहा है। चीन की घुसपैठ के बाद ताइवान की वायु रक्षा प्रणाली सक्रिय हो गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने हितों को साधने के लिए ताइवान के खिलाफ साइबर युद्ध, दुष्प्रचार एवं ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए मुहिम छेड़ चुका है। वह ग्रे जोन रणनीति अपनाते हुए बिना कोई युद्ध लड़े ताइवान को चीन की शर्तें मानने पर मजबूर करना चाहता ह।

ताइवान पर दबाव बनाने के लिए वह हमारे यातायात लिंक्स, हवाई अड्डों एवं प्रमुख बंदरगाहों को निशाना बना सकता है। वह हमारे खिलाफ लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है जिनके माध्यम से वह हमारे प्रमुख बंदरगाहों की नाकाबंदी करते हुए हवाई एवं समुद्री संचार लाइनों को काटते हुए पूर्ण रूप से नाकाबंदी कर सकता है।

याद रहे क्या 1949 में हुए गृह युद्ध के बाद चीन और ताइवान अलग हो गए थे। अमेरिका ने 1979 में साम्यवादी चीन को मान्यता देने के लिए ताइवान से औपचारिक कूटनीतिक संबंध खत्म कर दिए थे। हाल ही में चीन और ताइवान के बढ़ते विवाद पर जब अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया कि क्या ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका आगे आएगा तो बाइडन कहा था, हां ऐसा करना हमारी प्रतिबद्धता है।

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