अल-कायदा का सरगना अयमान अल-जवाहिरी अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया

अल-कायदा का सरगना अयमान अल-जवाहिरी अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की है कि काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में अल-कायदा का सरगना अयमान अल-जवाहिरी मारा गया है। अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने भाषण में ऑपरेशन “न्याय” प्रदान करने के रूप में इस ऑपरेशन की प्रशंसा की। और आशा व्यक्त की कि यह क़दम संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर, 2001 के हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों के “दुख” के लिए मरहम का काम करेगा।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस से अपने भाषण में कहा कि “अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने अयमान अल-जवाहिरी को काबुल के एक घर में ट्रैक किया, जहां वह अपने परिवार के साथ छिपा हुआ था।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते ऑपरेशन को मंजूरी दी थी और रविवार को इस ड्रोन हमले को अंजाम दिया गया।

अयमान अल-जवाहिरी और ओसामा बिन लादेन ने 9/11 के हमलों की योजना बनाई थी जिसमें अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया गया था। ओसामा बिन लादेन एक दशक की तलाशी के बाद 2 मई, 2011 को पाकिस्तान में अमेरिकी नेवी सील ऑपरेशन में मारा गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि, “वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देंगे क्योंकि वह चला गया है और हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि और कुछ न हो।”

बताया जा रहा है कि अयमान अल-जवाहिरी अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की तरह प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन उसने आतंकवादी संगठन के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अमेरिकी एजेंसी एफबीआई के मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल था और उसके सिर पर ढाई लाख डॉलर का इनाम था। जबकि ये भी कहा जाता है कि अफ़ग़ानिस्तान ही नहीं बाकि दुनिया के हर कोने में जहन भी आतंक फैलाया जा रहा है उसके पीछे अमेरिका का ही हाथ रहता है।

वहीं दूसरी ओर, अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने अपने बयान में ड्रोन हमले की पुष्टि की, लेकिन अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने या किसी अन्य के ज़ख़्मी होने का उल्लेख नहीं किया है। बयान में कहा गया है, “वे (तालिबान) इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और दोहा समझौते का स्पष्ट उल्लंघन बताते हैं।” “इस तरह की कार्रवाइयां पिछले 20 वर्षों के असफल अनुभवों की पुनरावृत्ति हैं और अमेरिका, अफगानिस्तान और क्षेत्र के हितों के खिलाफ हैं।”

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