नवम्बर 2020 में देश में फैले संकट से आसानी से निपटने के नाम पर इथोपिया के पीएम अहमद ने इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की सेवाएं बंद कर दी थीं जिसके बाद से इथोपिया का पूरी दुनिया से कनेक्शन टूट गया था लेकिन अब इंटरनेट के मामले में वहां स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
इंटरनेट बंद हुआ तो इथोपिया का दुनिया से संबंध कटा और इस बीच होने वाली घटनाओं को दुनिया समय पर नहीं जान सकी। लेकिन अब जैसे जैसे बाहरी दुनिया से इस देश का संबंध हो रहा है वैसे ही अंदर की कुछ घटनाएं बाहर आ रही हैं।
इसी काल में हुई एक घटना का संबंध इथोपिया में स्थित एक बेहद पवित्र Ark of covenant से है जिसको बचाने के लिए सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी । यह आर्क इथोपिया के तिगरे क्षेत्र के सैंट मेरी चर्च में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में सुरक्षित रहता है और ईसाई धर्म में इसे काफी पवित्र माना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 800 लोगों को सेंट मैरी चर्च के आसपास मार गिराया गया है और कई दिनों तक सड़कों पर इन लोगों की लाशें पड़ी हुई थीं।
एक यूनिवर्सिटी में लेक्चरर गेटू माक नाम ने यहां के भयावह हालातों पर बात की। उन्होंने टाइम्स वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि जब लोगों ने गन फायरिंग की आवाज सुननी शुरू की तब वह चर्च की तरफ भागे ताकि वे वहां मौजूद पादरियों की मदद कर सकें जो इस पवित्र आर्क की रक्षा कर रहे थे और इसके चलते कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।
कहा जा रहा है कि यह घटना नवंबर महीने में हुई थी लेकिन माक का कहना था कि लोगों में नवंबर के महीने में इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने के साथ ही डर बढ़ने लगा था कि इस पवित्र संदूक को किसी दूसरे शहर ले जाया जाएगा या फिर इसे खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लुटेरों ने किसी तरह की दया नहीं दिखाई गई और उन्होंने ताबड़तोड़ हमले कर लोगों को मार गिराया।
इथोपिया के वर्तमान प्रधानमंत्री अहमद के सत्ता में आने के पहले इथोपिया पर 27 साल तक तिगरे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शासन किया था। हालांकि तिगरे क्षेत्र की आबादी पूरे देश की आबादी का लगभग छह फीसदी ही है, लेकिन उस इलाके की ताकतों का राष्ट्रीय राजनीति पर लंबे समय तक वर्चस्व रहा है। हालांकि उनके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन की घटनाएं हुईं थीं। इससे तिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) की सरकार अलोकप्रिय हुई और साल 2018 में अहमद सत्ता में आए।
प्रधानमंत्री अबिय अहमद ने तिगरे क्षेत्र में सेना के एक शिविर पर हमले के बाद इस क्षेत्र में सेना को एक्शन लेने का आदेश दिया था। पीएम के सेना को दिए आदेश के बाद तिगरे क्षेत्र की मुख्य राजनीतिक पार्टी ने वहां के बलों को सेना की उत्तरी कमांड चौकी पर कब्जा कर लेने का आदेश दिया था। स्थानीय बलों ने वहां सेना के उपकरण हथिया लिए और वहां तैनात सैनिकों को बंदी बना लिया। उसके बाद से ही इस क्षेत्र में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है और कोरोना काल ने यहां के हालात और खराब किए हैं।


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