ईरान पर फिर से लगे प्रतिबंध, अफसोसजनक हैं: जापान

ईरान पर फिर से लगे प्रतिबंध, अफसोसजनक हैं: जापान

जापान के विदेश मंत्री ने यूरोपीय त्रिकोण (ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी) द्वारा “स्नैपबैक मैकेनिज़्म” (मकैनिज़्म माशे) को सक्रिय करने के बाद संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के ईरान पर दोबारा लागू होने पर खेद जताया है। ताकेशी इवाया ने रविवार को कहा कि तेहरान द्वारा 2015 के बहुपक्षीय परमाणु समझौते के उल्लंघन के आरोपों के चलते संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की वापसी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने ज़ोर दिया कि, इस मुद्दे का समाधान कूटनीतिक प्रयासों से होना चाहिए।

विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा:
“जापान हमेशा बातचीत के ज़रिये इस मसले के हल पर ज़ोर देता आया है… हमारा रुख यह है कि, ईरान द्वारा परमाणु हथियारों का विकास कभी संभव नहीं होना चाहिए। यह अफसोसजनक है कि शामिल पक्ष समझौते तक नहीं पहुँच सके।”

उन्होंने आगे कहा:
“ईरान का परमाणु मुद्दा एक निर्णायक मोड़ पर है। जापान का रुख, जो बातचीत को प्राथमिकता देता है, बदला नहीं है और इस प्रक्रिया को जारी रखने की गति और इच्छाशक्ति नहीं खोनी चाहिए।”

2015 के समझौते (जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ़ एक्शन – JCPOA) के तहत ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने पर सहमति दी थी, जिसके बदले उस पर लगे प्रतिबंध हटा दिए गए थे। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में इस समझौते को गंभीर ख़ामियों वाला बताते हुए मई 2018 में अमेरिका को एकतरफा बाहर निकाल लिया और अमेरिकी प्रतिबंध वापस लगा दिए।

इसके बाद, यूरोपीय देशों की वादाखिलाफी के चलते ईरान ने भी एक साल बाद अपनी परमाणु गतिविधियों का स्तर बढ़ा दिया। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने इस साल अगस्त के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि, ईरान JCPOA का पालन नहीं कर रहा है और “स्नैपबैक मैकेनिज़्म” को सक्रिय कर दिया।

पिछले शुक्रवार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान पर प्रतिबंधों को निलंबित रखने के लिए लाया गया प्रस्ताव पारित नहीं हो सका और इस तरह रविवार सुबह से स्नैपबैक मैकेनिज़्म लागू हो गया। इसके तहत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की छह पुरानी प्रस्तावों में लगाए गए वे सभी प्रतिबंध फिर से लागू हो गए हैं, जिनमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम या बैलिस्टिक मिसाइल विकास से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े कंपनियां, संस्थान और व्यक्ति निशाने पर होंगे।

हालांकि, इन प्रस्तावों में ईरान पर किसी भी प्रकार का तेल संबंधी प्रतिबंध शामिल नहीं है। ईरान के तेल और बैंकिंग क्षेत्र पर जो प्रतिबंध लागू हैं, वे केवल अमेरिकी वित्त मंत्रालय के एकतरफा प्रतिबंध हैं और फिलहाल वैसे ही लागू रहेंगे।

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