‘ग्लोबल समूद फ़्लोटिला’ पर इज़रायली हमले के बाद पूरे यूरोप में भारी विरोध
ग़ाज़ा के लिए राहत सामग्री ले जाने वाले जहाज़ी काफ़िले ‘ग्लोबल समूद फ़्लोटिला’ पर इज़रायल के हमले के बाद यूरोप के अलग-अलग शहरों में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए, जहां लोगों ने मार्च निकाला और नारेबाज़ी की। इस फ़्लोटिला में शामिल दर्जनों जहाज़ मानवीय मदद लेकर ग़ाज़ा जा रहे थे, जिन्हें इज़रायली नौसेना ने रोकने की कोशिश की।
रोम में सैकड़ों प्रदर्शनकारी, जिनमें छात्र और स्थानीय मज़दूर यूनियन के सदस्य शामिल थे, पियाज़ा दी चिनक्वेचेंटो (Piazza dei Cinquecento) पर टर्मिनी स्टेशन के सामने जमा हुए। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए चौक और आस-पास की सड़कों पर ट्रैफ़िक रोक दिया। उन्होंने नारा लगाया: “फ़्लोटिला और फ़िलिस्तीन के लिए सब कुछ बंद करो!” पुलिस ने कई मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए और टर्मिनी स्टेशन पर यात्रियों के प्रवेश पर रोक लगा दी।
प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि वे क़रीब एक हज़ार लोगों के साथ पियाज़ा बारबेरिनी की ओर मार्च करेंगे। इतालवी मज़दूर यूनियनें यूनियोने सिंदिकाले दी बेस (USB) और कंफेडराज़ियोने जेनराले इतालियाना देल लावोरो (CGIL) ने 3 अक्तूबर को देशव्यापी आम हड़ताल का ऐलान किया।
बार्सिलोना में भी सैकड़ों लोग इज़रायली दूतावास के बाहर जमा हुए और फ़्लोटिला पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए ग़ाज़ा के साथ एकजुटता दिखाई। इसी तरह बर्लिन में भी दर्जनों प्रदर्शनकारी मुख्य रेलवे स्टेशन पर विरोध के लिए जमा हुए, जबकि ब्रुसेल्स में लोगों ने प्लास दे ला बोरस (Place de la Bourse) से बेल्जियन विदेश मंत्रालय तक मार्च किया। लंदन में भी आज सैकड़ों लोगों के विरोध की उम्मीद जताई गई है।
ग्लोबल समूद फ़्लोटिला के आयोजकों ने कहा कि इज़रायली नौसेना ने संचार व्यवस्था बंद कर दी और काफ़िले को रोकने की कोशिश की। इंटरनेशनल कमेटी फ़ॉर ब्रेकिंग द सीज ऑन ग़ाज़ा (ICBSG) ने पुष्टि की कि इज़रायली फ़ोर्सेज़ ने “अल्मा” और “सीरिस” नामक जहाज़ों पर धावा बोला। कई कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा किए, जिनमें दिखा कि इज़रायली जहाज़ फ़्लोटिला के क़रीब पहुंचकर उन्हें रास्ता बदलने का आदेश दे रहे हैं।
यह फ़्लोटिला, जो मुख्य रूप से इंसानी मदद और दवाइयाँ लेकर निकली थी, अगस्त के आख़िर में रवाना हुई थी और सामान्य हालात में गुरुवार सुबह ग़ाज़ा के तट तक पहुंचना था। यह कई सालों में पहली बार था कि क़रीब 50 जहाज़ एक साथ ग़ाज़ा की ओर बढ़े, जिनमें 45 से अधिक देशों के 532 आम नागरिक सवार थे। यह काफ़िला उस ग़ाज़ा की ओर जा रहा था, जहां क़रीब 24 लाख फ़िलिस्तीनी 18 साल से जारी इज़रायली नाकाबंदी के तहत जीवन गुज़ार रहे हैं।


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